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निमिषा प्रिया को माफ़ नहीं करेगा तलाल मेहंदी परिवार, ‘किसास’ की मांग पर अड़ा’

यमन में फंसी भारतीय नर्स निमिषा प्रिया को फांसी की सजा से बचाने के प्रयास अभी भी जारी हैं। 16 जुलाई को उन्हें मौत की सजा दी जानी थी, लेकिन फिलहाल इसे स्थगित कर दिया गया है। भारत सरकार ने ब्लड मनी के तहत पीड़ित परिवार को 1 मिलियन डॉलर का प्रस्ताव दिया है, मगर अब तक परिवार ने इसे ठुकरा दिया है।

‘किसास’ की मांग पर अड़ा है पीड़ित पक्ष

हत्या के शिकार तलाल अब्दो मेहदी के भाई अब्देलफतह मेहदी ने स्पष्ट कहा है कि वह किसी तरह की माफी या समझौते को स्वीकार नहीं करेंगे। उनका कहना है कि उन्हें ‘किसास’ चाहिए, यानी जान के बदले जान। उन्होंने बीबीसी से बातचीत में साफ किया कि, “मौत की सजा में थोड़ी देरी हो सकती है, लेकिन बदला जरूर लिया जाएगा।”

क्या है ‘किसास’ ?

‘किसास’ एक इस्लामिक न्याय प्रक्रिया है, जिसका मतलब होता है बराबरी का प्रतिशोध। इसका उल्लेख कुरान (सूरह बकरा 2:178) में है। इसके तहत, अगर कोई हत्या करता है तो पीड़ित परिवार को दो विकल्प दिए जाते हैं – या तो वह ब्लड मनी (दियत) लेकर माफ कर दे, या फिर ‘किसास’ के तहत दोषी को मौत की सजा दिलवाए।

भारत सरकार की कोशिशें और वर्तमान स्थिति

भारत सरकार और सामाजिक संगठन लगातार कोशिश कर रहे हैं कि तलाल के परिवार को ब्लड मनी स्वीकार करने के लिए राजी किया जा सके। हालांकि, अब्देलफतह ने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा है कि “हमारी मांग केवल किसास है, और कुछ नहीं।” इससे संकेत मिलता है कि परिवार सुलह को तैयार नहीं है, हालांकि यह भी कहा गया कि मौत की सजा स्थगित होने का फैसला उनकी अनुमति के बिना लिया गया, जो कूटनीतिक प्रयासों की एक सकारात्मक दिशा माना जा सकता है।

कौन हैं निमिषा प्रिया?

निमिषा प्रिया भारत के केरल राज्य की रहने वाली हैं। वह नर्सिंग पेशे में काम करने यमन गई थीं। तलाल अब्दो मेहदी की हत्या के आरोप में उन्हें दोषी ठहराया गया था। रिपोर्ट्स के अनुसार, निमिषा पर आरोप है कि उन्होंने तलाल को जानबूझकर मारा, जबकि उनका दावा है कि यह दुर्घटनावश हुआ था।

अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्या तलाल के परिजन अपना रुख बदलेंगे या निमिषा प्रिया को यमन में ‘किसास’ कानून के तहत मौत की सजा दी जाएगी। भारत सरकार के पास अब भी कूटनीतिक और कानूनी रास्ते खुले हैं, लेकिन वक्त तेजी से बीत रहा है।

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