
संसद के आगामी मॉनसून सत्र से पहले शनिवार को केंद्र सरकार द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में कई ज्वलंत मुद्दों पर चर्चा हुई। बैठक के बाद केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने बताया कि सरकार विपक्ष की ओर से उठाए गए सभी मुद्दों पर चर्चा के लिए पूरी तरह से तैयार है, लेकिन यह चर्चा संसद के नियमों और प्रक्रियाओं के तहत ही होगी।
बैठक में विपक्ष की तरफ से उठे अहम मुद्दे
बैठक में शामिल हुए विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार से मांग की कि मणिपुर की स्थिति, पहलगाम आतंकी हमला, भारत-पाक संबंधों पर ट्रंप का बयान, चीन और पाकिस्तान के साथ सीमा विवाद और बिहार में वोटर लिस्ट रिवीजन जैसे मुद्दों पर संसद में खुलकर बहस कराई जाए। साथ ही विपक्ष ने मांग की कि इन संवेदनशील मामलों पर चर्चा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी सदन में मौजूद रहना चाहिए।
सरकार ने जताई सदन चलाने की प्रतिबद्धता
रिजिजू ने कहा, “सरकार किसी भी मुद्दे पर चर्चा से पीछे नहीं हटेगी। यह सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों की जिम्मेदारी है कि संसद शांतिपूर्वक चले।”
उन्होंने यह भी बताया कि इस सत्र के दौरान कुल 17 विधेयक पेश किए जाने की योजना है। हालांकि उन्होंने यह स्पष्ट किया कि हर बहस संसद के नियमों के दायरे में ही होगी।
जस्टिस वर्मा पर महाभियोग की तैयारी
सर्वदलीय बैठक के बाद जब जस्टिस वर्मा पर महाभियोग को लेकर सवाल पूछा गया, तो रिजिजू ने बड़ा ऐलान किया। उन्होंने कहा कि न्यायमूर्ति वर्मा के घर से बड़ी मात्रा में नकदी और जले हुए नोट मिलने के बाद यह मामला गंभीर बन गया है। इस पर सरकार ने महाभियोग प्रस्ताव लाने का निर्णय लिया है, जिसके लिए 100 से अधिक सांसदों ने हस्ताक्षर किए हैं।
रिजिजू ने कहा कि यह केवल सरकार का नहीं, बल्कि सभी दलों का साझा दायित्व है। उन्होंने संकेत दिया कि जल्द ही यह प्रस्ताव संसद में पेश किया जाएगा, हालांकि इसकी तारीख अभी तय नहीं की गई है।
मॉनसून सत्र 21 जुलाई से होगा शुरू
गौरतलब है कि संसद का मॉनसून सत्र 21 जुलाई से शुरू होगा, जिसमें कई अहम विधेयकों पर चर्चा के साथ-साथ विपक्ष और सरकार के बीच बहसें भी देखने को मिलेंगी।
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