तहव्वुर राणा ने खोले 26/11 हमले के राज, लश्कर और डेविड हेडली से रिश्तों का कबूलनामा

2008 के मुंबई आतंकी हमलों के सिलसिले में भारत लाए गए तहव्वुर हुसैन राणा ने पूछताछ में कई अहम जानकारियाँ साझा की हैं, जिनसे इस हमले की साजिश और उसमें शामिल चेहरों पर नई रोशनी पड़ी है। अमेरिका, कनाडा और पाकिस्तान में वर्षों तक सक्रिय रहे राणा ने पूछताछ के दौरान डेविड हेडली, लश्कर-ए-तैयबा और खुद की पृष्ठभूमि को लेकर विस्तार से बयान दिया है।
पाकिस्तान से शुरुआत, फिर अमेरिका तक का सफर
राणा ने बताया कि वह पाकिस्तान के चिचावतनी इलाके का रहने वाला है। उसके पिता भारत के जालंधर (अब नवांशहर) से पाकिस्तान आए थे। 1974 से 1979 तक वह कैडेट कॉलेज हसन अब्दाल में पढ़ा, जहां उसकी दोस्ती डेविड हेडली से हुई — जो बाद में 26/11 हमले की योजना में मुख्य भूमिका निभाने वाला साबित हुआ।
राणा के मुताबिक, हेडली की मां अमेरिकी थीं और पिता पाकिस्तानी। पारिवारिक विवादों के चलते हेडली अमेरिका चला गया। राणा भी 1979 में अमेरिका गया, लेकिन ट्यूशन फीस नहीं जुटा पाने के कारण लौट आया और पाकिस्तान आर्मी में मेडिकल ऑफिसर बन गया। बाद में उसने सऊदी अरब में तैनाती ली, फिर 1994 में अमेरिका जाकर नागरिकता ली और बिजनेस शुरू किया।
डेविड हेडली और लश्कर से जुड़ाव
राणा ने बताया कि हेडली कई भाषाओं में पारंगत था — पंजाबी, उर्दू, हिंदी, इंग्लिश, अरबी, फ़ारसी और पश्तो। उसने लश्कर-ए-तैयबा से “आम” और “खास” जैसे कोड नाम वाले तीन ट्रेनिंग कोर्स किए थे। उसने खुद यह जानकारी राणा को दी थी।
राणा के मुताबिक, हेडली ने कई बार अपनी पत्नियाँ बदलीं और एक समय नशे की हालत में बेहद बुरी स्थिति में था। जब दोनों ने शिकागो में इमिग्रेशन लॉ सेंटर नामक बिजनेस शुरू किया, तब भारत, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया में इसकी शाखाएँ खोली गईं। भारत में इसका कामकाज सैयद सज्जाद नाम का व्यक्ति देखता था।
मुंबई हमलों में भूमिका को लेकर बयान
पूछताछ में राणा ने कहा कि मुंबई में इमिग्रेशन ऑफिस खोलने का विचार उसका था, हेडली का नहीं। हेडली के लिए मनी ट्रांसफर के जरिए पैसे भेजे गए थे, लेकिन वह सेंटर के नाम पर भेजे गए थे। उसने यह भी बताया कि हेडली ने अमेरिकी वीजा फॉर्म में गलत जानकारी दी थी, लेकिन इसकी गलती भारतीय दूतावास की थी।
जब हाफिज सईद और अन्य पाकिस्तानी आतंकियों जैसे साजिद मीर, मेजर इकबाल व अब्दुल रहमान के बारे में सवाल किए गए, तो राणा ने यह स्वीकारा कि वह इन्हें जानता है, पर सीधे संपर्क से इनकार किया। उसने दावा किया कि हाफिज सईद से मुलाकात नहीं हुई, लेकिन यह मानता है कि लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और हरकत-उल-जिहाद पाकिस्तान के आतंकी संगठन हैं।
अब आगे क्या?
भारत में राणा की हिरासत से उम्मीद की जा रही है कि मुंबई हमले की साजिश की कड़ियाँ और खुलेंगी। अमेरिकी एजेंसियों ने इससे पहले राणा को डेनमार्क में कार्टून विवाद पर हमले की योजना के तहत गिरफ्तार किया था। लेकिन भारत में उसका ट्रायल अब 26/11 हमले के मद्देनज़र केंद्रित रहेगा।
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