
अमेरिका में 30 से अधिक वर्षों तक रहने वाली 73 वर्षीय सिख महिला बीबी हरजीत कौर को हाल ही में आईसीई (Immigration and Customs Enforcement) अधिकारियों ने हिरासत में लेकर भारत भेज दिया। कैलिफ़ोर्निया से उन्हें हथकड़ी पहनाकर जॉर्जिया ले जाया गया और फिर चार्टर फ्लाइट से पंजाब भेजा गया। इस दौरान उन्हें अपने परिवार या वकील से मिलने का कोई मौका नहीं मिला। आखिरी 48 घंटों में उन्हें बिस्तर तक नहीं दिया गया, खाने के लिए केवल बर्फ और एक सैंडविच मिला, और उनकी दवाइयों और डेंचर की मांगों को भी अनसुना किया गया।
हरजीत कौर 1992 में अपने दो बेटों के साथ अमेरिका आई थीं। 2012 में उनके शरण आवेदन को खारिज किया गया था, लेकिन इसके बाद भी उन्होंने 13 वर्षों तक हर छह महीने में आईसीई को रिपोर्ट करना जारी रखा। वकील दीपक अहलूवालिया के अनुसार, कौर को कैलिफ़ोर्निया में नियमित जांच के दौरान हिरासत में लिया गया और उन्हें बेकर्सफील्ड, लॉस एंजिलिस और जॉर्जिया के हिरासत केंद्रों में रखा गया। पूरे सफर में उन्हें भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, जिसमें लंबे समय तक सोने की अनुमति न मिलना और नहाने पर रोक शामिल थी।
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अहलूवालिया ने बताया कि कौर की स्थिति उनके दोनों घुटनों की सर्जरी के कारण और भी जटिल थी। चार्टर्ड विमान से उन्हें सीधे दिल्ली लाया गया। वकील का दावा है कि अधिकारियों ने उन्हें अपने परिवार को अलविदा कहने तक का मौका नहीं दिया।
कौर की गिरफ्तारी और डिपोर्टेशन ने सिख समुदाय में गहरा आक्रोश पैदा किया है। सिख कोएलिशन ने इसे मानवाधिकारों का उल्लंघन बताया और कहा कि 73 साल की महिला के साथ इस तरह का व्यवहार अत्यंत अमानवीय और शर्मनाक है।
इस घटना ने अमेरिका में लंबे समय से रहने वाले अप्रवासी सिखों में चिंता और नाराजगी बढ़ा दी है। कौर की कहानी इस बात की याद दिलाती है कि वृद्ध और कमजोर लोगों के अधिकारों की सुरक्षा पर किस तरह ध्यान देना आवश्यक है।