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रतन टाटा की जयंती: देश के औद्योगिक विकास को नई ऊंचाइयों पर ले जाने वाले प्रेरणास्त्रोत

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जमशेदपुर।आज टाटा संस के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा की जयंती है। रतन टाटा, जिनका जन्म 1937 में हुआ, भारतीय उद्योग जगत का एक ऐसा नाम हैं जिन्होंने अपने नेतृत्व में टाटा समूह को अभूतपूर्व ऊंचाइयों तक पहुंचाया। मार्च 1991 से दिसंबर 2012 तक टाटा समूह की अगुवाई करते हुए, उन्होंने कंपनी को नमक से लेकर सॉफ्टवेयर तक का विशाल साम्राज्य बनाया और इसे विश्व स्तर पर प्रतिष्ठित किया।

टाटा समूह को बनाया वैश्विक पहचान

रतन टाटा के नेतृत्व में टाटा समूह ने कई बड़ी कंपनियों का अधिग्रहण किया, जिनमें टेटली, कोरस और जगुआर लैंड रोवर जैसे बड़े नाम शामिल हैं। उनके प्रयासों से टाटा समूह आज भारत के सबसे बड़े औद्योगिक घरानों में से एक है। उन्होंने न केवल व्यापार को बढ़ाया, बल्कि अपने सामाजिक दृष्टिकोण और नैतिक मूल्यों से भी टाटा समूह को अलग पहचान दिलाई।

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

रतन टाटा ने अपनी शुरुआती शिक्षा मुंबई के कैथेड्रल एंड जॉन कॉनन स्कूल से प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने अमेरिका की कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से आर्किटेक्चर और स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल की। स्नातक के बाद उन्होंने अमेरिका में कुछ समय तक काम किया। 1962 में, वह टाटा समूह में शामिल हुए और धीरे-धीरे अपनी योग्यता और नेतृत्व क्षमता के दम पर समूह में अपनी पहचान बनाई।

टाटा समूह का नेतृत्व

1981 में रतन टाटा को टाटा इंडस्ट्रीज का चेयरमैन बनाया गया। इसके बाद 1991 में जेआरडी टाटा के रिटायरमेंट के बाद उन्होंने टाटा संस के चेयरमैन का पद संभाला। उनके कार्यकाल के दौरान टाटा समूह ने न केवल भारतीय बाजार में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज की, बल्कि वैश्विक बाजारों में भी अपना परचम लहराया।

रतन टाटा की दूरदृष्टि और कुशल नेतृत्व ने टाटा समूह को विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाया और इसे नैतिक व्यापार का प्रतीक स्थापित किया। उनकी जयंती पर, पूरा देश उनके योगदान को नमन करता है और प्रेरणा लेता है।

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