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मकर संक्रांति पर क्यों हर घर में बनाई जाती है खिचड़ी, जानें कैसे शुरू हुई यह परंपरा?

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नई दिल्ली: पूरे भारत में आज, 14 जनवरी 2025 को मकर संक्रांति का पवित्र त्योहार धूमधाम से मनाया जा रहा है। सनातन धर्म के प्रमुख पर्वों में शामिल यह त्योहार हर राज्य में अपने अलग अंदाज में मनाया जाता है। इस दिन खिचड़ी बनाने और दान करने की परंपरा विशेष रूप से प्रचलित है, जिस कारण इसे खिचड़ी पर्व भी कहा जाता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि मकर संक्रांति पर खिचड़ी बनाने और बांटने की यह परंपरा कैसे शुरू हुई? इसके पीछे की कहानी बेहद रोचक है।

कैसे शुरू हुई खिचड़ी की परंपरा?
ऐतिहासिक मान्यताओं के अनुसार, जब अलाउद्दीन खिलजी ने आक्रमण किया, तो चारों ओर भय और संकट का माहौल था। उस समय नाथ संप्रदाय के योगी युद्ध में व्यस्त रहते थे और भोजन बनाने का समय नहीं मिल पाता था। भोजन की कमी के कारण वे कमजोर होने लगे।तभी बाबा गोरखनाथ ने एक व्यंजन तैयार करने की सलाह दी, जिसमें दाल, चावल और सब्जियां मिलाई जाती थीं। यह व्यंजन न केवल जल्दी पक जाता था, बल्कि पोषण से भरपूर भी था। बाबा गोरखनाथ ने इसे खिचड़ी नाम दिया।जब खिलजी के आक्रमण से मुक्ति मिली, तब मकर संक्रांति के दिन योगियों ने इस व्यंजन को बनाकर लोगों में बांटा। तभी से मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी बनाने और दान करने की परंपरा शुरू हो गई।

गोरखनाथ मंदिर और खिचड़ी मेला
मकर संक्रांति के अवसर पर गोरखपुर स्थित बाबा गोरखनाथ मंदिर में खिचड़ी मेला लगता है। इस दिन बाबा गोरखनाथ को खिचड़ी का भोग चढ़ाया जाता है, जिसे बाद में भक्तों के बीच प्रसाद के रूप में बांटा जाता है।

मकर संक्रांति 2025 का शुभ मुहूर्त
वैदिक पंचांग के अनुसार, माघ माह की प्रतिपदा तिथि पर आज मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाएगा। इस दिन सूर्य देव धनु राशि से मकर राशि में गोचर करेंगे, जिससे मकर संक्रांति 14 जनवरी को होगी। इस दिन पुण्य काल प्रात: 09:03 बजे से लेकर संध्याकाल 05:46 बजे तक रहेगा। इस अवधि में स्नान, ध्यान, पूजा, जप, तप और दान करना शुभ रहेगा। वहीं, महा पुण्य काल सुबह 09:03 बजे से लेकर 10:48 बजे तक रहेगा। इस दौरान पूजा और दान करने से सूर्य देव की विशेष आशीर्वाद प्राप्ति होगी। 14 जनवरी को संक्रांति का शुभ मुहूर्त 09:03 बजे होगा।इस प्रकार, मकर संक्रांति पर खिचड़ी बनाने और बांटने की परंपरा का न केवल ऐतिहासिक महत्व है, बल्कि यह समाज में एकता और सहयोग का संदेश भी देती है।

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