
मध्य प्रदेश बीजेपी में नेतृत्व परिवर्तन की तैयारियां अंतिम दौर में हैं। सूत्रों के मुताबिक, हेमंत खंडेलवाल का प्रदेश अध्यक्ष बनना लगभग तय माना जा रहा है और बुधवार को उनके नाम का औपचारिक ऐलान हो सकता है। उनके नाम को लेकर उत्सुकता इसलिए भी है क्योंकि उन्होंने कई वरिष्ठ नेताओं को पीछे छोड़कर पार्टी आलाकमान का विश्वास जीता है।
राजनीतिक पृष्ठभूमि
हेमंत खंडेलवाल का जीवन दो ध्रुवों ‘राजनीति और व्यवसाय’ के इर्द-गिर्द रहा है। वे खुद भले ही अक्सर राजनीतिक सुर्खियों से दूर रहे हों, लेकिन संगठन में उनकी पकड़ बेहद मजबूत मानी जाती है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से उनका जुड़ाव शुरू से रहा है, यही वजह है कि वे संगठन के भरोसेमंद नेताओं में गिने जाते हैं।
4 बार सांसद रहे पिता, राजनीतिक विरासत
हेमंत के पिता विजय कुमार खंडेलवाल मध्य प्रदेश की बैतूल लोकसभा सीट से लगातार चार बार सांसद रहे। 2007 में उनके निधन के बाद हुए उपचुनाव में हेमंत को टिकट दिया गया और उन्होंने जीत दर्ज की। इसके बाद वे 2013 में बैतूल विधानसभा सीट से विधायक बने, हालांकि 2018 में चुनाव हार गए थे। 2023 में पार्टी ने फिर से उन पर भरोसा जताया और वे चुनाव जीतकर फिर विधानसभा पहुंचे।
2020 के सत्ता परिवर्तन में निभाई थी बड़ी भूमिका
कमलनाथ सरकार के पतन और बीजेपी की सत्ता में वापसी के दौरान जो राजनीतिक समन्वय की जरूरत पड़ी, उसमें हेमंत खंडेलवाल की भूमिका बेहद अहम रही। वे बेंगलुरु जाकर कांग्रेस से असंतुष्ट विधायकों के संपर्क में रहे और पार्टी के रणनीतिकारों में शामिल थे।
संगठन में लंबे समय से मजबूत पकड़
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2010–13: बीजेपी बैतूल जिलाध्यक्ष
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2014–18: प्रदेश कोषाध्यक्ष
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2020: सिंधिया गुट के बगावत में प्रमुख भूमिका
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2024 लोकसभा चुनाव: प्रदेश चुनाव समिति के संयोजक
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2023: विधायक, बैतूल से जीतकर विधानसभा पहुंचे
हेमंत खंडेलवाल ही क्यों?
हेमंत खंडेलवाल का राजनीतिक अनुभव, संगठनात्मक दक्षता और लो-प्रोफाइल कामकाज उन्हें मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य में उपयुक्त चेहरा बनाता है। पार्टी के लिए वह चेहरा जो अंदरूनी गुटबाज़ी से परे रहकर सबको साध सके। भाजपा हाईकमान को भी यही उम्मीद है कि खंडेलवाल प्रदेश में विधानसभा चुनाव 2028 की नींव मज़बूत करने का काम करेंगे।
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