पहले CM योगी से मिले बृजभूषण फिर DCM से मिला बेटा, यूपी की सियासत में हलचल

उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक बार फिर हलचल तेज हो गई है। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के पूर्व सांसद और कैसरगंज से प्रभावशाली नेता बृजभूषण शरण सिंह के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात के ठीक एक दिन बाद उनके बेटे और गोंडा सदर से बीजेपी विधायक प्रतीक भूषण सिंह ने डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या से लखनऊ में उनके सरकारी आवास पर भेंट की। इन लगातार दो हाई-प्रोफाइल मुलाकातों ने 2027 के विधानसभा चुनावों को लेकर सियासी अटकलों को हवा दे दी है।
योगी से बृजभूषण की मुलाकात ने खींचा ध्यान
बृजभूषण शरण सिंह ने सोमवार, 21 जुलाई 2025 को लखनऊ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से उनके सरकारी आवास पर मुलाकात की थी। यह मुलाकात करीब 31 महीने बाद हुई, जो इसलिए भी खास थी क्योंकि बृजभूषण पिछले कुछ समय से योगी सरकार की कुछ नीतियों, खासकर बुलडोजर नीति और अफसरशाही के खिलाफ अपनी नाराजगी जाहिर करते रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक, यह मुलाकात बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व के इशारे पर हुई, ताकि पार्टी में एकजुटता का संदेश दिया जा सके और बृजभूषण व योगी के बीच की कथित दूरी को कम किया जा सके। हालांकि, मुलाकात के बाद बृजभूषण की बॉडी लैंग्वेज और संक्षिप्त बयानों से संकेत मिला कि उनकी अपेक्षाएं पूरी नहीं हुईं। उन्होंने मीडिया से कहा, “मुख्यमंत्री से मुलाकात तो होनी ही चाहिए, यह व्यक्तिगत मुलाकात थी।”
प्रतीक भूषण और केशव मौर्या की मुलाकात ने बढ़ाई सियासी सरगर्मी
मंगलवार, 22 जुलाई 2025 को बृजभूषण के बेटे प्रतीक भूषण सिंह ने डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या से मुलाकात की। यह भेंट लखनऊ में मौर्या के सरकारी आवास पर हुई। प्रतीक वर्तमान में गोंडा सदर से बीजेपी के विधायक हैं और उनके पिता बृजभूषण के राजनीतिक वारिस माने जाते हैं। इस मुलाकात को लेकर सियासी गलियारों में कई सवाल उठ रहे हैं। क्या यह मुलाकात बीजेपी के भीतर चल रही आंतरिक खींचतान को शांत करने की कोशिश है? या फिर यह 2027 के विधानसभा चुनावों के लिए नए समीकरण तैयार करने का हिस्सा है?
बृजभूषण का सियासी रसूख और विवादों से रिश्ता
बृजभूषण शरण सिंह लंबे समय से उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक दिग्गज चेहरा रहे हैं। वे छह बार लोकसभा सांसद रह चुके हैं और राम मंदिर आंदोलन में उनकी सक्रिय भूमिका रही है। हालांकि, 2023 में उन पर महिला पहलवानों द्वारा लगाए गए यौन शोषण के आरोपों ने उनकी सियासी छवि को प्रभावित किया था। इन आरोपों के चलते 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने उनका टिकट काट दिया था, लेकिन उनके बेटे करण भूषण सिंह को कैसरगंज से टिकट देकर जीत हासिल हुई। बृजभूषण ने हाल के महीनों में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव की तारीफ करके भी सुर्खियां बटोरी थीं, जिससे उनके बीजेपी के प्रति रुख को लेकर सवाल उठे थे।
क्या है इन मुलाकातों के सियासी मायने?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बृजभूषण और उनके बेटे की इन मुलाकातों के पीछे बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व की रणनीति हो सकती है। उत्तर प्रदेश में 2024 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी को अपेक्षित सफलता नहीं मिली थी, जिसके बाद पार्टी 2027 के विधानसभा चुनावों के लिए अपनी रणनीति को और मजबूत करना चाहती है। बृजभूषण का पूर्वांचल में खासा प्रभाव है, और उनकी नाराजगी पार्टी के लिए नुकसानदायक हो सकती है। ऐसे में उनकी और उनके बेटे की ये मुलाकातें पार्टी के भीतर एकता और संतुलन बनाए रखने की कोशिश के तौर पर देखी जा रही हैं।
केशव प्रसाद मौर्या, जो गैर-यादव ओबीसी मतदाताओं के बीच मजबूत पकड़ रखते हैं, के साथ प्रतीक की मुलाकात को भी इस दिशा में एक कदम माना जा रहा है। मौर्या हाल के दिनों में बीजेपी के भीतर अपनी स्थिति को मजबूत करने में जुटे हैं और उनकी यह मुलाकात पूर्वांचल की सियासत में नए समीकरण बना सकती है।