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Bihar News: बिहार में बदलेगी ट्रांसपोर्ट की तस्वीर, 'वॉटर मेट्रो' से लेकर कार्गो तक... जलमार्ग विकास का मास्टर प्लान तैयार

बिहार में जलमार्गों का होगा विकास, पटना में 908 करोड़ की वॉटर मेट्रो, 2030 तक बनेगा नंबर 1।

Bihar News: बिहार की नदियों में जल्द ही कार्गो जहाज और वॉटर मेट्रो दौड़ती नजर आएंगी। राज्य सरकार ने प्रदेश में जलमार्गों के विकास के लिए एक व्यापक मास्टर प्लान पर काम शुरू कर दिया है। इसका लक्ष्य बिहार को 2030 तक जलमार्ग परिवहन के मामले में देश का नंबर एक राज्य बनाना है। इस कड़ी में सबसे बड़ा कदम पटना में 908 करोड़ रुपये की लागत से ‘वॉटर मेट्रो’ परियोजना की शुरुआत है, जिसके लिए राज्य सरकार और भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (IWAI) के बीच एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए हैं।

पटना को मिलेगी 908 करोड़ की ‘वॉटर मेट्रो’

इस महत्वाकांक्षी परियोजना की घोषणा हाल ही में की गई है। 908 करोड़ रुपये के इस प्रोजेक्ट के तहत पटना में दीघा घाट से कंगन घाट तक एक आधुनिक और पर्यटन-अनुकूल जल परिवहन सेवा शुरू की जाएगी। इसके लिए बिहार राज्य पर्यटन विभाग और IWAI के बीच समझौता हुआ है। यह वॉटर मेट्रो सेवा दीघा घाट, एनआईटी घाट और गाय घाट होते हुए कंगन घाट तक चलेगी, जिससे राजधानी में यात्रा का एक नया और प्रदूषण मुक्त विकल्प मिलेगा।

पर्यावरण के अनुकूल होंगे

इस परियोजना के तहत, अत्याधुनिक हाइब्रिड इलेक्ट्रिक कैटामारन जहाजों का इस्तेमाल किया जाएगा, जिनका नाम ‘एमवी निषादराज’ रखा गया है। ये जहाज बैटरी और हाइब्रिड, दोनों मोड पर चलने में सक्षम होंगे, जिससे कार्बन उत्सर्जन शून्य होगा। ये जहाज पूरी तरह से वातानुकूलित होंगे और इनमें एक बार में लगभग 100 यात्रियों के बैठने की क्षमता होगी। इस परियोजना का ट्रायल रन जल्द ही शुरू होने की उम्मीद है।

सिर्फ पर्यटन नहीं, माल ढुलाई पर भी है जोर

यह मास्टर प्लान सिर्फ यात्रियों के परिवहन या पर्यटन तक सीमित नहीं है। इसका मुख्य उद्देश्य सामानों की आवाजाही (कार्गो ट्रांसपोर्ट) को सड़क और रेल से नदियों में शिफ्ट करना है। जलमार्ग परिवहन, सड़क मार्ग की तुलना में काफी सस्ता और पर्यावरण के लिए भी बेहतर होता है। इससे न केवल लॉजिस्टिक का खर्च कम होगा, बल्कि बिहार की सड़कों पर ट्रकों का दबाव भी घटेगा और प्रदूषण में कमी आएगी। कालूघाट टर्मिनल को एक बड़े लॉजिस्टिक हब के रूप में विकसित किया जा रहा है, जो बिहार को सीधे हल्दिया बंदरगाह और जलमार्ग के जरिए नेपाल से भी जोड़ेगा।

इन नदियों पर बनेगा जलमार्ग, 16 नए जेटी को मंजूरी

बिहार की सात नदियों को राष्ट्रीय जलमार्ग (National Waterways) घोषित किया गया है, जिनमें गंगा (NW-1), गंडक (NW-37), और कोसी (NW-58) प्रमुख हैं। इन जलमार्गों को विकसित करने के लिए बुनियादी ढांचे पर तेजी से काम हो रहा है। केंद्र और राज्य सरकार के संयुक्त टास्क फोर्स की निगरानी में राज्य में 21 मौजूदा जेटी (घाटों) का विस्तार किया जाएगा और 16 नए जेटी का निर्माण भी किया जाएगा। इन नए घाटों के बनने से स्थानीय किसानों, व्यापारियों और छोटे कारोबारियों को भी अपने उत्पाद (जैसे सब्जी, फल, अनाज) नदी के रास्ते कम खर्च में बड़े बाजारों तक ले जाने में आसानी होगी।

2030 तक नंबर वन बनने का लक्ष्य

राज्य सरकार की कोशिश है कि इस साल के अंत तक मास्टर प्लान बनाने के लिए एक अनुभवी एजेंसी का चयन कर लिया जाए। सरकार का विजन स्पष्ट है, 2030 तक बिहार की नदियों की पुरानी परिवहन क्षमता, जो कभी व्यापार का मुख्य मार्ग हुआ करती थी, उसे वापस लाना और राज्य को जलमार्ग के मामले में आत्मनिर्भर बनाना, जिससे पर्यटन और व्यापार, दोनों को बड़ा बढ़ावा मिल सके।

Sanjna Gupta
Author: Sanjna Gupta

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