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Jharkhand News: झारखंड घाटशिला उपचुनाव, हेलीकॉप्टर से प्रचार करना है तो चुकाएं ये शुल्क, प्रशासन ने जारी किए नए नियम

घाटशिला उपचुनाव, हेलीकॉप्टर उतारने के लिए अब राजनीतिक दलों को चुकाना होगा किराया

Jharkhand News: झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिले में घाटशिला विधानसभा उपचुनाव की रौनक तेज हो रही है। नेताओं की रैलियों और सभाओं के लिए हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल आम हो गया है। लेकिन अब जिला प्रशासन ने सख्त नियम बना दिए हैं। हेलीकॉप्टर उतारने के लिए राजनीतिक दलों को किराया चुकाना पड़ेगा। भवन निर्माण विभाग अस्थायी हेलीपैड बनाएगा। दो तरह के हेलीपैड होंगे – बैरिकेडिंग वाले महंगे और बिना बैरिकेडिंग वाले सस्ते। यह व्यवस्था उपचुनाव में पारदर्शिता लाएगी। घाटशिला उपचुनाव में हेलीकॉप्टर नियमों ने चर्चा छेड़ दी है। आम लोग कह रहे हैं कि इससे पैसे का सही इस्तेमाल होगा।

हेलीपैड बनाने के नियम, राजनीतिक दलों को देनी होगी सूचना

घाटशिला उपचुनाव में हेलीकॉप्टर उतारने की पूरी व्यवस्था जिला प्रशासन संभालेगा। राजनीतिक दलों को पहले सूचना देनी होगी। उसके बाद भवन निर्माण विभाग हेलीपैड तैयार करेगा। जिला प्रशासन का कहना है कि इससे सुरक्षा बढ़ेगी और कोई गड़बड़ी नहीं होगी। हेलीपैड पर एंबुलेंस और अग्निशमन दल की व्यवस्था भी होगी। अगर सभा छह घंटे से ज्यादा चले, तो अतिरिक्त शुल्क लगेगा। यह नियम सभी दलों पर लागू होंगे। नेताओं को अब पहले से प्लान बनाना पड़ेगा। घाटशिला जैसे इलाकों में जंगल और पहाड़ी इलाका होने से हेलीपैड बनाना चुनौती है। लेकिन प्रशासन तैयार है।

शुल्क की डिटेल, बैरिकेडिंग वाले में ज्यादा खर्च

हेलीपैड के शुल्क दो प्रकार के हैं। बैरिकेडिंग वाले हेलीपैड पर छह घंटे के लिए 35,637 रुपये लगेंगे। इसमें हेलीपैड शुल्क 27,937 रुपये, एंबुलेंस 1,500 रुपये और अग्निशमन दल 6,200 रुपये शामिल हैं। बैरिकेडिंग से भीड़ नियंत्रण आसान होगा। दूसरी तरफ, बिना बैरिकेडिंग वाले हेलीपैड पर सिर्फ 15,242 रुपये का खर्च। इसमें हेलीपैड शुल्क 7,542 रुपये, एंबुलेंस 1,500 और अग्निशमन दल 6,200 रुपये हैं। छोटे दलों के लिए यह सस्ता विकल्प है। शुल्क जमा करने के बाद रसीद मिलेगी। फिर हेलीपैड बनाना शुरू होगा। प्रशासन ने साफ कहा कि समय पर भुगतान न करने पर इजाजत नहीं मिलेगी।

निजी या सरकारी जमीन पर हेलीपैड, एनओसी जरूरी

अगर हेलीपैड निजी जमीन पर बनाना है, तो दल को मालिक से एनओसी लेनी होगी। जमीन का किराया दल खुद देगा। सरकारी जमीन पर हेलीपैड के लिए प्रशासन से पहले इजाजत लें। शुल्क जमा कर रसीद दिखानी पड़ेगी। यह प्रक्रिया उपचुनाव में हेलीकॉप्टर प्रचार को व्यवस्थित करेगी। घाटशिला उपचुनाव 2025 में कई बड़े नेता हेलीकॉप्टर से आएंगे। लेकिन अब शुल्क से चुनाव खर्च का हिसाब रखना आसान होगा। स्थानीय लोग उम्मीद कर रहे हैं कि इससे विकास के मुद्दे पर फोकस बढ़े। जिला प्रशासन की यह पहल भ्रष्टाचार रोकने में मददगार साबित होगी।

Sanjna Gupta
Author: Sanjna Gupta

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