बिहार विधानसभा चुनाव: भाजपा के 21 बागी विधायकों पर अमित शाह की नजर, निर्दलीय नामांकन रोकने के लिए केंद्रीय नेताओं को भेजा

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले भाजपा में आंतरिक कलह तेज हो गई है। पार्टी ने 21 विधायकों का टिकट काटने के फैसले से नाराजगी भड़काई है, जिसके जवाब में कुछ बागी और भितरघातक निर्दलीय नामांकन की तैयारी में जुट गए हैं। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह खुद इसकी नब्ज टटोल रहे हैं। जिला संगठनों से सूचना मिलते ही तत्काल प्रभाव से पूर्व प्रदेश अध्यक्षों, सांसदों और केंद्रीय नेताओं को क्षेत्र भेजा जा रहा है, ताकि बागियों को मनाया जाए या नामांकन से रोका जाए। हालांकि, कुछ मामलों में पार्टी को सफलता नहीं मिली है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह आंतरिक विद्रोह NDA की एकजुटता को प्रभावित कर सकता है, खासकर OBC और EBC वोट बैंक में।
पार्टी ने पहले ही संकेत दे दिए थे कि कुछ नेताओं का टिकट कट सकता है। इसकी सूचना मिलते ही कई दिग्गजों ने भरे मन से स्वीकार कर लिया और सोशल मीडिया पर पोस्ट जारी कर अपनी गरिमा बचाई। उन्होंने 2025 का चुनाव न लड़ने की घोषणा कर पार्टी लाइन का सम्मान किया। ऐसे प्रमुख नामों में पटना साहिब के विधायक एवं विधानसभा अध्यक्ष नंद किशोर यादव, दानापुर की पूर्व विधायक आशा सिन्हा, कुम्हरार के विधायक अरुण सिन्हा शामिल हैं। इसके अलावा, पूर्व नगर विकास एवं आवास मंत्री सुरेश शर्मा और आरा विधायक एवं पूर्व मंत्री अमरेंद्र प्रताप सिंह जैसे दिग्गजों ने भी मीडिया बयानों में अपनी नाराजगी जाहिर की, लेकिन निर्दलीय लड़ने से परहेज किया। भाजपा सूत्रों के अनुसार, ये कदम पार्टी की आंतरिक एकता बनाए रखने के लिए उठाए गए, लेकिन इससे कुछ नेताओं में असंतोष भी पनप रहा है।
टिकट कटने के बाद कुछ नेताओं ने खुलेआम बागी तेवर दिखाए। अमित शाह के निर्देश पर मोबाइल पर बातचीत और क्षेत्रीय नेताओं को भेजने के बावजूद, कई ने निर्दलीय लड़ने का ऐलान कर दिया। गोपालगंज से विधायक कुसुम देवी के पुत्र एवं पूर्व मंत्री सुभाष सिंह के बेटे अनिकेत कुमार सिंह गोलू ने नामांकन की तैयारी शुरू कर दी है। इसी तरह, पूर्व प्रदेश कार्यालय मंत्री एवं चुनाव प्रबंधन समिति के प्रमुख सत्तपाल नरोत्तम ने अघोषित रूप से पार्टी दायित्व त्याग दिया है। गोपालगंज के दो बार जिला अध्यक्ष रहे अनुरूप श्रीवास्तव ने निर्दलीय ताल ठोंक दिया है, जबकि वे भाजपा के छपरा जिला प्रभारी हैं। पारू विधायक अशोक सिंह, बक्सर में वरिष्ठ नेता अमरेंद्र पांडेय, पटना साहिब से प्रदेश कार्यसमिति सदस्य एवं पटना मेयर सीता साहू के पुत्र शिशिर कुमार जैसे नाम भी इस सूची में हैं। पार्टी को इनमें से चुनिंदा मामलों में सफलता नहीं मिली, जिससे हड़कंप मच गया है।
कुछ बागियों ने भाजपा से त्यागपत्र दे दिया और जनता समाजवादी पार्टी (जसपा) का दामन थाम लिया। बक्सर जिले के ब्रह्मपुर विधानसभा क्षेत्र से डॉ. सत्य प्रकाश तिवारी ने जसपा की सदस्यता ली और टिकट पाने की तैयारी शुरू कर दी। यह कदम महागठबंधन की रणनीति को मजबूत कर सकता है, जहां जसपा पहले से ही सक्रिय है। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि यदि बागी वोट बंटवारा कर पाए, तो भाजपा को 10-15 सीटों का नुकसान हो सकता है। अमित शाह की निगरानी में जिला स्तर पर निगरानी बढ़ा दी गई है, और पार्टी ने क्षेत्रीय समीकरणों को ध्यान में रखते हुए सामाजिक संतुलन बनाने की कोशिश की है।



