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Bihar Chunav 2025: 2020 के विद्रोही नेता BJP में लौटने को तैयार, NDA समीकरण बदल सकता है

चिराग पासवान के करीबी बागी नेताओं की भाजपा में वापसी, जेडीयू के बागी भी शामिल।

Bihar Chunav 2025: बिहार की राजनीति में पुराने सियासी विद्रोह फिर से गरमाने लगे हैं। 2020 के विधानसभा चुनावों में एनडीए के खिलाफ बगावत करने वाले कई नेता अब भाजपा में वापसी की तैयारी कर रहे हैं। लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास) के नेता चिराग पासवान के समर्थन से भाजपा के इन बागियों ने जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) को भारी नुकसान पहुंचाया था। अब इनकी वापसी से गठबंधन का गणित उलट-पुलट हो सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह बदलाव बिहार चुनाव 2025 के लिए भाजपा के हित में साबित होगा।

2020 चुनावों में विद्रोह, जेडीयू को लगे गहरे घाव

2020 के चुनावों में चिराग पासवान ने भाजपा के वरिष्ठ नेताओं का साथ देकर जेडीयू को कमजोर करने की रणनीति अपनाई। इसके तहत 18 भाजपा उम्मीदवारों को लोजपा के टिकट पर उतारा गया, जिससे जेडीयू के चार मंत्री – जयकुमार सिंह (सहकारिता), कृष्णंदन प्रसाद वर्मा (शिक्षा), संतोष कुमार निराला (परिवहन) और रामसेवक सिंह (सामाजिक कल्याण) – हार गए। मगध और शाहाबाद क्षेत्रों में जेडीयू को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ। इन विद्रोहियों में राजेंद्र सिंह (पूर्व राज्य महासचिव), रमेश्वर चौरसिया (पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, भाजपा युवा मोर्चा), पूर्व विधायक उषा विद्यार्थी, रविंद्र यादव (झाझा से पूर्व विधायक), श्वेता सिंह, इंदु कश्यप, अनिल कुमार, मृणाल शेखर और अजय प्रताप जैसे नाम शामिल थे। भाजपा ने इन्हें छह साल के लिए निष्कासित कर दिया था, लेकिन गठबंधन टूटने के बाद यह सजा समाप्त हो गई।

जेडीयू के बागी: स्वतंत्र लड़ाई से हासिल की जीत

जेडीयू के भी कई नेता बगावत पर उतर आए थे। पूर्व मंत्री भगवान सिंह कुशवाहा लोजपा टिकट पर लड़े, हार गए लेकिन बाद में जेडीयू में लौट आए और अब विधान परिषद सदस्य हैं। रमेश्वर पासवान, ददन पहलवान (अरा से पूर्व विधायक), सुमित सिंह और प्रमोद चंद्र वंशी जैसे नेताओं ने एनडीए के खिलाफ मोर्चा खोला। सुमित सिंह ने स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में जीत हासिल की और वर्तमान नीतीश कुमार सरकार में मंत्री हैं। ददन पहलवान की बगावत से जेडीयू की अनजुम आरा अरा सीट हार गईं। जेडीयू महिला विंग की पूर्व अध्यक्ष कंचन गुप्ता ने भी पार्टी नेतृत्व को ललकारा था। जेडीयू ने इन्हें भी छह साल के लिए बाहर किया था, लेकिन अब कई लौटने की कवायद में हैं।

भाजपा में एंट्री से गठबंधन मजबूत

अब ये पूर्व विद्रोही भाजपा में लौटने के लिए प्रयासरत हैं। राजेंद्र सिंह और रमेश्वर चौरसिया जैसे नेता संगठन स्तर पर सक्रिय हो चुके हैं। उनका कहना है कि 2020 का विद्रोह जेडीयू को सबक सिखाने के लिए था, अब भाजपा के साथ मिलकर मजबूत बिहार बनाएंगे। चिराग पासवान की भूमिका फिर से अहम हो सकती है। जेडीयू के बागियों में से कुछ भी भाजपा की ओर झुकाव दिखा रहे हैं। इससे एनडीए का वोट बैंक मजबूत होगा, खासकर मगध क्षेत्र में। राजनीतिक विश्लेषकों का अनुमान है कि यह वापसी विपक्ष के लिए चुनौती बनेगी।

Sanjna Gupta
Author: Sanjna Gupta

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