
Bihar Chunav News: निर्वाचन आयोग ने बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को सही ठहराया है। आयोग का कहना है कि यह प्रक्रिया मतदाता सूची से अयोग्य लोगों को हटाकर चुनाव की शुद्धता को बढ़ाती है। बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले इस प्रक्रिया को शुरू किया गया है, ताकि केवल पात्र लोग ही वोट डाल सकें। आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपने हलफनामे में कहा कि SIR से मतदाता सूची में पारदर्शिता आएगी और फर्जी मतदाताओं को हटाया जा सकेगा।
SIR प्रक्रिया कैसे काम करती है?
SIR के तहत, बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) घर-घर जाकर मतदाताओं की जानकारी जुटाते हैं। हर मतदाता को अपने दस्तावेज, जैसे आधार कार्ड, राशन कार्ड या वोटर आईडी, दिखाने का मौका मिलता है। अगर कोई मतदाता पात्रता साबित नहीं कर पाता, तो उसका नाम मतदाता सूची से हटाया जा सकता है। आयोग ने स्पष्ट किया कि यह प्रक्रिया नागरिकता छीनने के लिए नहीं है, बल्कि केवल मतदाता सूची को शुद्ध करने के लिए है।
दस्तावेजों का महत्व और समय सीमा
निर्वाचन आयोग ने कहा कि आधार, वोटर आईडी और राशन कार्ड जैसे दस्तावेज सिर्फ पहचान के लिए इस्तेमाल होते हैं। बिहार में 25 जुलाई तक मतदाता अपने दस्तावेज जमा कर सकते हैं। जिन मतदाताओं का नाम 2003 की मतदाता सूची में है, उन्हें अतिरिक्त दस्तावेज देने की जरूरत नहीं है। लेकिन नए मतदाताओं को अपनी पात्रता साबित करने के लिए दस्तावेज जमा करने होंगे। आयोग ने यह भी कहा कि गरीब और कमजोर वर्गों, जैसे बुजुर्गों और दिव्यांगों, को परेशान नहीं किया जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट में बहस और आलोचना
सुप्रीम कोर्ट में SIR को लेकर बहस हुई। कुछ याचिकाकर्ताओं ने कहा कि यह प्रक्रिया लाखों मतदाताओं को वोट देने से वंचित कर सकती है, खासकर गरीब और प्रवासी मजदूरों को। लेकिन आयोग ने जवाब दिया कि यह प्रक्रिया संवैधानिक है और मतदाता सूची को साफ करने के लिए जरूरी है। कोर्ट ने आयोग से कहा कि वह आधार और राशन कार्ड जैसे दस्तावेजों को स्वीकार करे, ताकि मतदाताओं को आसानी हो।