बिहार चुनाव की गूंज झारखंड तक, JMM ने कांग्रेस-राजद पर लगाया ‘राजनीतिक धोखे’ का आरोप

पटना: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का असर अब पड़ोसी राज्य झारखंड की राजनीति पर भी साफ़ दिखने लगा है। झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) ने अपने सहयोगी दलों कांग्रेस और राजद पर सीट बंटवारे में धोखा देने का गंभीर आरोप लगाया है। पार्टी का कहना है कि उसे बिहार गठबंधन में जानबूझकर नज़रअंदाज़ किया गया, जबकि उसने झारखंड में दोनों दलों को सम्मानजनक हिस्सेदारी दी थी।
जेएमएम के वरिष्ठ नेता और झारखंड के मंत्री शुदिव्य सोनू ने कहा कि कांग्रेस और राजद ने जानबूझकर पार्टी को बिहार गठबंधन से बाहर रखा। उन्होंने कहा —“यह वही गलती है जो 2020 में भी हुई थी। इस बार भी हमारे साथ अन्याय किया गया है।”
सोनू ने बताया कि पटना में तेजस्वी यादव से मुलाकात के दौरान उन्होंने 28 आदिवासी बहुल सीटों की पहचान की थी, जहां जेएमएम प्रभावी भूमिका निभा सकता था। लेकिन न कांग्रेस ने साथ दिया, न राजद ने रुचि दिखाई।
सूत्रों के मुताबिक, झारखंड में जेएमएम अब कांग्रेस और राजद कोटे के मंत्रियों के प्रदर्शन की समीक्षा करने जा रही है। राजनीतिक जानकार इसे “गठबंधन में दरार” का संकेत मान रहे हैं।
पार्टी का कहना है कि झारखंड में उसने राजद को 7 सीटें और एक मंत्री पद दिया था, लेकिन बदले में बिहार में उसे पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया गया।
कांग्रेस की ओर से मीडिया सेल चेयरमैन सतीश पॉल मुंजिनी ने कहा कि पार्टी खुद सिर्फ 60 सीटों पर लड़ रही है, जबकि उसकी मांग 70 की थी।
उन्होंने कहा “हमने छोटे घटक दलों, जिनमें वीआईपी और जेएमएम शामिल हैं, के लिए कुछ सीटें छोड़ी थीं, लेकिन गठबंधन की प्राथमिकताओं के कारण विकल्प सीमित रहे।”
वहीं, राजद प्रवक्ता कैलाश यादव ने कहा कि राजनीति में “एहसान” शब्द का कोई स्थान नहीं। उन्होंने जोड़ा “हेमंत सोरेन हमारे सम्मानित साथी हैं, लेकिन बिहार में सीट बंटवारे को लेकर असंतोष को इस तरह बयान देना दुर्भाग्यपूर्ण है।”
बीजेपी प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने कहा “जो पार्टी झारखंडी अस्मिता की बात करती थी, वही अब बिहार जाकर अपनी अस्मिता गिरवी रख आई है। कांग्रेस और राजद ने जेएमएम की औकात दिखा दी।”
उन्होंने दावा किया कि यह विवाद झारखंड में सत्तारूढ़ गठबंधन के भविष्य पर गहरा असर डाल सकता है।
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