Bihar Politics: बिहार चुनाव से पहले नीतीश कुमार का बड़ा कदम, विकास मित्रों को मिलेगा टैबलेट और भत्ता, काम होगा डिजिटल
सीएम नीतीश कुमार का ऐलान, विकास मित्रों को मिलेगा टैबलेट और बढ़ा हुआ भत्ता

Bihar Politics: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की बिसात बिछनी शुरू हो गई है और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपना एक बड़ा दांव चल दिया है। शनिवार को पटना में आयोजित ‘विकास मित्र सम्मेलन’ में मुख्यमंत्री ने महादलित समुदाय से आने वाले हजारों विकास मित्रों के लिए सौगातों की झड़ी लगा दी। उन्होंने ऐलान किया कि राज्य के सभी विकास मित्रों को एक-एक टैबलेट दिया जाएगा और उनके भत्तों में भी सम्मानजनक बढ़ोतरी की जाएगी। इस कदम को चुनाव से ठीक पहले नीतीश कुमार द्वारा अपने सबसे मजबूत ‘महादलित’ वोट बैंक को साधने और उन्हें ‘डिजिटल’ रूप से सशक्त करने के एक बड़े प्रयास के तौर पर देखा जा रहा है।
विकास मित्र’ बनेंगे ‘डिजिटल मित्र’, रजिस्टर का झंझट खत्म
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि जमाना अब बदल गया है और काम करने का तरीका भी बदलना चाहिए। उन्होंने ऐलान किया कि सरकार सभी विकास मित्रों को एक-एक टैबलेट मुहैया कराएगी। इस टैबलेट का मुख्य उद्देश्य विकास मित्रों के काम को पेपरलेस और डिजिटल बनाना है। विकास मित्र अब अपने-अपने क्षेत्र में महादलित परिवारों को मिल रही सरकारी योजनाओं (जैसे- आवास, शौचालय, राशन, पेंशन) की प्रगति और लाभार्थियों का डाटा सीधे टैबलेट पर ऑनलाइन दर्ज करेंगे। इससे रजिस्टर मेंटेन करने का झंझट खत्म होगा और रियल-टाइम मॉनिटरिंग हो सकेगी, जिससे योजनाओं के कार्यान्वयन में पारदर्शिता आएगी और तेजी भी।
बढ़ा हुआ भत्ता और सेवा पुस्तिका का भी मिला तोहफा
टैबलेट की घोषणा के साथ ही मुख्यमंत्री ने विकास मित्रों की एक और बड़ी मांग पूरी की। उन्होंने कहा कि विकास मित्रों को मिलने वाले भत्ते (Allowances) में भी बढ़ोतरी की जाएगी, जिससे उनके मानदेय में इजाफा होगा। इसके अलावा, नीतीश कुमार ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि सभी विकास मित्रों की एक ‘सेवा पुस्तिका’ (Service Book) तैयार की जाए, जो उनकी नौकरी का एक आधिकारिक रिकॉर्ड होगा। उन्होंने विकास मित्रों की सेवानिवृत्ति की आयु (Retirement Age) को भी नियमानुकूल तय करने का निर्देश दिया, ताकि उनका भविष्य सुरक्षित हो सके।
कौन हैं नीतीश कुमार के ‘विकास मित्र’?
बिहार में ‘विकास मित्र’ का पद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ही एक अनूठी पहल है। इन्हें महादलित समुदाय के ‘सशक्तीकरण’ का सबसे प्रमुख जमीनी कार्यकर्ता माना जाता है। बिहार के हर उस पंचायत और शहरी वार्ड में एक विकास मित्र की नियुक्ति की गई है, जहां महादलित समुदाय की आबादी अधिक है। यह विकास मित्र उसी समुदाय से चुना जाता है। इनका मुख्य काम सरकार द्वारा चलाई जा रही सैकड़ों कल्याणकारी योजनाओं (जैसे- आवास, शिक्षा, स्वास्थ्य, राशन) का लाभ सीधे महादलित परिवारों तक पहुंचाना और उन्हें इन योजनाओं से जोड़ना है।
क्या है इस घोषणा का राजनीतिक मतलब?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि चुनाव से ठीक पहले यह घोषणा नीतीश कुमार का एक बड़ा दांव है। विकास मित्र, जिनकी संख्या हजारों में है, सीधे तौर पर राज्य के सबसे बड़े और सबसे वंचित महादलित वोट बैंक से जुड़े हैं। वे सरकार और इस समुदाय के बीच सीधे पुल का काम करते हैं। उन्हें टैबलेट देकर और उनके भत्ते बढ़ाकर, नीतीश कुमार ने न केवल अपने इस जमीनी काडर को खुश किया है, बल्कि उन्हें 2025 के चुनाव के लिए एक ‘डिजिटल सिपाही’ के तौर पर भी तैयार कर दिया है। यह कदम एक साथ सामाजिक सशक्तिकरण और राजनीतिक रणनीति, दोनों को साधता नजर आ रहा है।