
Health News: नई दिल्ली, क्या आपको भी कभी-कभी अपने बचपन या बीते हुए कल का कोई ऐसा लम्हा अचानक याद आता है, जिसका कोई खास महत्व नहीं था? जैसे, स्कूल के रास्ते में दिखा कोई अजीब सा पत्थर, किसी रिश्तेदार के घर की मेज पर रखा कोई खास डिजाइन का कप, या किसी मेले में सुनी कोई धुन। हम अक्सर यह सोचकर हैरान होते हैं कि हम जिंदगी की बड़ी-बड़ी और जरूरी बातें तो भूल जाते हैं, लेकिन ये मामूली सी, छोटी-छोटी बातें हमारे दिमाग में हमेशा के लिए कैसे बस जाती हैं? यह कोई जादू नहीं है, इसके पीछे एक गहरा वैज्ञानिक और मनोवैज्ञानिक कारण है, जो हमारे दिमाग के काम करने के तरीके को बताता है।
Health News: जब दिमाग कहता है यह कुछ नया है!
हमारा दिमाग एक बहुत ही स्मार्ट फिल्टर की तरह काम करता है। यह हर सेकंड लाखों सूचनाओं को प्रोसेस करता है, लेकिन यह केवल उन्हीं चीजों को लंबी अवधि की मेमोरी (Long-term Memory) में सहेजता है जो उसे ‘खास’ या ‘अलग’ लगती हैं। जब भी हमारे साथ कुछ ऐसा होता है जो हमारी रोजमर्रा की दिनचर्या से बिल्कुल अलग, नया या अप्रत्याशित (unexpected) होता है, तो हमारा दिमाग उसे एक महत्वपूर्ण घटना के रूप में चिह्नित कर लेता है। उदाहरण के लिए, आप रोज स्कूल जाते हैं, लेकिन जिस दिन रास्ते में आपको एक बहुरूपिया मिल गया, वह दिन आपको आज भी याद होगा। यह ‘नवीनता का सिद्धांत’ (Novelty Principle) है, जो साधारण क्षणों को भी यादगार बना देता है।
यादों का ‘रिवॉर्ड सिस्टम’ और डोपामाइन का खेल
हमारे दिमाग में एक ‘रिवॉर्ड सिस्टम’ होता है, जिसे ‘डोपामाइन’ (Dopamine) नामक एक न्यूरोट्रांसमीटर नियंत्रित करता है। डोपामाइन को ‘फील-गुड’ हार्मोन भी कहा जाता है। जब भी हमें कोई अप्रत्याशित खुशी या इनाम मिलता है, तो हमारा दिमाग डोपामाइन रिलीज करता है। यह सिर्फ बड़ी खुशियों पर ही लागू नहीं होता।
सोचिए, आप उदास बैठे थे और अचानक रेडियो पर आपका पसंदीदा पुराना गाना बजने लगा। उस एक पल के लिए आपको जो खुशी महसूस हुई, उस दौरान आपके दिमाग ने डोपामाइन रिलीज किया। इस डोपामाइन ने उस पल को आपकी याददाश्त में मजबूती से चिपका दिया। इसीलिए, कई साल बाद भी, जब आप उस गाने को सुनते हैं, तो आपको सिर्फ गाना ही नहीं, बल्कि उस दिन का पूरा माहौल याद आ जाता है। ये छोटी-छोटी बातें असल में हमारे दिमाग के लिए छोटे-छोटे ‘रिवॉर्ड’ होती हैं, जिन्हें वह कभी नहीं भूलता।
जब यादें जुड़ जाती हैं भावनाओं से
हमारी याददाश्त का सबसे गहरा संबंध हमारी भावनाओं (Emotions) से होता है। जिन घटनाओं के साथ कोई मजबूत भावना जुड़ी होती है, वे हमारी मेमोरी में स्थायी हो जाती हैं। यह जरूरी नहीं कि भावना बहुत बड़ी हो। हल्की सी खुशी, हल्का सा आश्चर्य, या हल्का सा डर भी किसी पल को यादगार बनाने के लिए काफी है। बचपन में, हमारा दिमाग और हमारी भावनाएं बहुत शुद्ध होती हैं। उस समय हमारे लिए एक टॉफी मिलना भी बहुत बड़ी खुशी होती थी, और एक तितली का हाथ पर बैठ जाना भी एक बड़ा आश्चर्य। इन पलों के साथ जुड़ी यही तीव्र और शुद्ध भावनाएं उन्हें हमारी याददाश्त में हमेशा के लिए जिंदा रखती हैं।