Search
Close this search box.

History, present, and struggle of the Ho tribe:रबिन्द्र गिलुवा ने “हो जनजाति का इतिहास, वर्तमान और संघर्ष” पर साझा की गहरी बातें: राष्ट्रीय आदिवासी साहित्य महोत्सव 2025 का अहम सत्र

👇समाचार सुनने के लिए यहां क्लिक करें

ड़िशा।कोझिकोड में राष्ट्रीय आदिवासी साहित्य महोत्सव 2025 के अंतर्गत आज “हो जनजाति का इतिहास, वर्तमान और समस्याएँ” विषय पर एक विशेष परिचर्चा आयोजित की गई। यह सत्र 27 मार्च को किर्ताद्स, कैंपस चेवयूर, कोझिकोड में प्रातः 10:00 से 10:45 बजे तक हुआ। इस संवाद में झारखंड के प्रसिद्ध आदिवासी साहित्यकार और समाजसेवी रवींद्र गिलुवा ने हो जनजाति के ऐतिहासिक संघर्ष, उनकी सांस्कृतिक विरासत, और उनके समक्ष वर्तमान समय में आ रही चुनौतियों पर विस्तार से विचार साझा किए।
कोल्हान का ऐतिहासिक गौरव और संघर्ष का परिचय
रवींद्र गिलुवा ने कोल्हान क्षेत्र के ऐतिहासिक महत्व पर गहरी बात की और कहा, “कोल्हान की धरती केवल झारखंड के लिए नहीं, बल्कि सम्पूर्ण दुनिया के लिए महत्वपूर्ण है। यहाँ के प्राचीन शिलालेख और पत्थर इसकी गहरी ऐतिहासिक धरोहर को दर्शाते हैं। चक्रधरपुर के नकटी गाँव में स्थित शिलालेख इस क्षेत्र की 280 करोड़ साल से अधिक पुरानी उम्र को प्रमाणित करता है।”
उन्होंने यह भी बताया कि हो जनजाति ने हमेशा अपनी स्वतंत्रता और पहचान के लिए संघर्ष किया है। “हमने कभी भी किसी की अधीनता को स्वीकार नहीं किया। हम सभी संघर्षों में अपनी संस्कृति और गौरव को बचाने के लिए खड़े हुए हैं। ब्रिटिश शासन के दौरान भी कोल्हान ने कई बड़े विद्रोह किए, जो अंग्रेजों को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिए थे।”
स्वतंत्रता संग्राम के तीन महत्वपूर्ण संघर्ष
सत्र में रवींद्र गिलुवा ने हो जनजाति के स्वतंत्रता संग्राम की तीन महत्वपूर्ण घटनाओं पर प्रकाश डाला:
1. सेरेंशिया घाटी का विद्रोह:
रवींद्र गिलुवा ने सेरेंशिया घाटी के संघर्ष को याद करते हुए बताया कि यह विद्रोह हो जनजाति की साहस और बलिदान का प्रतीक बन गया। “इस संघर्ष में ब्रिटिश हुकूमत को भारी नुकसान उठाना पड़ा, जिसके कारण कोल्हान को एक नई पहचान मिली। इस विद्रोह के बाद विल्किंसन रूल 1837 ने पारंपरिक मुंडा-मानकी शासन व्यवस्था को औपचारिक मान्यता दी।”
2. खरसावां गोलीकांड (1948):
“1 जनवरी 1948 को खरसावां गोलीकांड में हजारों निहत्थे आदिवासियों पर गोलियाँ चलायी गईं, जिसमें 30,000 से 40,000 लोग शहीद हुए। यह घटना हो जनजाति की आत्मनिर्णय की भावना को कुचलने का एक प्रयास थी, लेकिन हम अपनी पहचान को बचाने के लिए लगातार संघर्ष कर रहे हैं।”
3. गुआ गोलीकांड:
गुआ गोलीकांड को याद करते हुए रवींद्र गिलुवा ने कहा कि यह संघर्ष आदिवासी समाज की जल, जंगल, और ज़मीन के अधिकारों की रक्षा का प्रतीक बन गया। “यह हमें याद दिलाता है कि अपनी भूमि और संस्कृति के बचाव के लिए हमें संगठित होकर आगे बढ़ना होगा।”
हो जनजाति की सांस्कृतिक विशेषताएँ और वर्तमान चुनौतियाँ
रवींद्र गिलुवा ने हो समाज की सांस्कृतिक विशिष्टताओं का भी उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि हो समाज में महिलाओं को समान दर्जा दिया जाता है, और दहेज प्रथा के बजाय वधू मूल्य की परंपरा है। इसके अलावा, पारंपरिक मुंडा-मानकी शासन व्यवस्था आज भी प्रभावी है।
जब बिंदु वर्मा ने पूछा कि हो जनजाति की सबसे बड़ी वर्तमान समस्या क्या है, तो रवींद्र गिलुवा ने उत्तर दिया, “हमारी सबसे बड़ी चुनौती हमारी भाषा और संस्कृति को बचाना है। नई पीढ़ी को अपनी जड़ों से जोड़ने के लिए हमें अपनी संस्कृति और इतिहास को जीवित रखना होगा।”
उन्होंने यह भी कहा कि “हो भाषा को संरक्षित करना और इसे शिक्षा प्रणाली में शामिल करना बहुत ज़रूरी है।”
सरकार और आदिवासी विकास: रवींद्र गिलुवा की राय
बिंदु वर्मा के सवाल पर कि क्या सरकार हो जनजाति के विकास के लिए पर्याप्त कदम उठा रही है, रवींद्र गिलुवा ने कहा, “सरकार ने कुछ योजनाएँ चलाई हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर उनका सही क्रियान्वयन नहीं हो पा रहा है। हमें सरकारी योजनाओं पर निर्भर नहीं रहकर, खुद अपनी पहचान और अधिकारों के प्रति जागरूक होना होगा।”
एकजुटता और संघर्ष की आवश्यकता
सत्र के अंत में रवींद्र गिलुवा ने आदिवासी समाज से एकजुट रहने और अपने अधिकारों के लिए संघर्ष जारी रखने की अपील की। उन्होंने कहा, “हमारे पूर्वजों ने हमें जो पहचान दी है, उसे बचाने की जिम्मेदारी अब हमारी है। हमें अपनी भाषा, संस्कृति और परंपराओं को संरक्षित करना होगा और अगली पीढ़ी को हमारे गौरवशाली अतीत से जोड़ना होगा।”
राष्ट्रीय आदिवासी साहित्य महोत्सव 2025 इस प्रकार आदिवासी संस्कृति, इतिहास और साहित्य को संरक्षित और प्रचारित करने के एक महत्वपूर्ण मंच के रूप में उभर कर सामने आया है। इस सत्र के बाद अन्य आदिवासी समुदायों से जुड़े विषयों पर भी गहन चर्चाएँ जारी रहीं, जिससे आदिवासी समाज के विभिन्न पहलुओं पर और भी जागरूकता फैलाने का प्रयास किया गया।

Leave a Comment

और पढ़ें

Buzz Open / Ai Website / Ai Tool
error: Content is protected !!