Jharkhand News: झारखंड विधानसभा 2007 नियुक्ति घोटाला, CBI ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की याचिका, हाईकोर्ट के जांच आदेश पर रोक हटाने की मांग
CBI ने 2007 के विधानसभा नियुक्ति घोटाले की जांच पर लगी रोक हटाने के लिए SC से गुहार लगाई।
Jharkhand News: झारखंड में 2007 के विधानसभा नियुक्ति घोटाले की जांच को नई दिशा मिल सकती है। केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने सुप्रीम कोर्ट में एक हस्तक्षेप याचिका दायर की है। इस याचिका के जरिए CBI ने झारखंड हाईकोर्ट के जांच के आदेश पर लगी रोक को हटाने की गुजारिश की है। मामला 17 साल पुराना है, लेकिन अब फिर से चर्चा में आ गया है। CBI का कहना है कि यह जांच सिर्फ आरोपों की सच्चाई जानने के लिए है। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई का इंतजार है। यह कदम भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्ती का संकेत दे रहा है।
2007 झारखंड विधानसभा नियुक्ति घोटाला क्या था?
यह घोटाला झारखंड विधानसभा में हुई भर्तियों से जुड़ा है। 2007 में विभिन्न पदों पर 150 से ज्यादा लोगों की नियुक्ति हुई। इसमें भर्ती और प्रमोशन की प्रक्रिया में बड़ी गड़बड़ी सामने आई। आरोप लगे कि घूस का लेन-देन हुआ। पद का दुरुपयोग किया गया। एक सीडी भी सबूत के तौर पर पेश की गई, जिसमें भ्रष्टाचार के पुख्ता सबूत बताए गए। तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष के समय की यह घटना राज्य की राजनीति को हिला गई थी। कई लोगों ने भर्ती के लिए पैसे दिए, लेकिन योग्यता पर सवाल उठे। यह मामला लंबे समय से कोर्टों में अटका रहा। अब CBI को मौका मिलने की उम्मीद है।
जांच की शुरुआत कैसे हुई?
2014 में राज्यपाल ने एक जज की अगुवाई में जांच आयोग बनाया। आयोग ने 30 बिंदुओं पर गहराई से देखा। रिपोर्ट में विधानसभा अध्यक्ष के कार्यकाल में अनियमितताओं का जिक्र किया गया। इस रिपोर्ट के बाद राज्यपाल ने CBI जांच की सिफारिश की। लेकिन विधानसभा अध्यक्ष ने न कार्रवाई की, बल्कि सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज के नेतृत्व में दूसरा आयोग गठित कर दिया। इससे मामला उलझ गया। फिर शिवशंकर शर्मा नाम के एक व्यक्ति ने जनहित याचिका दायर की। हाईकोर्ट ने दोनों आयोगों की रिपोर्ट और राज्यपाल के निर्देशों को आधार बनाकर 23 अक्टूबर 2023 को CBI को जांच सौंप दी।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला और CBI की नई चाल
झारखंड विधानसभा ने हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की। 14 नवंबर 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने जांच पर रोक लगा दी। CBI ने अब शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में हस्तक्षेप याचिका लगाई। CBI का तर्क है कि वे सिर्फ प्रारंभिक जांच कर रहे हैं। यह देखना है कि भ्रष्टाचार के आरोप सही हैं या नहीं। रोक हटाने से जांच तेज हो सकेगी। सुप्रीम कोर्ट अब इस पर फैसला लेगा। अगर रोक हटी, तो कई बड़े नामों की नींद उड़ सकती है।
वर्तमान स्थिति क्या है?
फिलहाल CBI की जांच सुप्रीम कोर्ट के आदेश से ठप है। याचिका पर सुनवाई लंबित है। झारखंड सरकार और विधानसभा की तरफ से कोई टिप्पणी नहीं आई। राज्यपाल की सिफारिश पर जोर दिया जा रहा है। यह मामला भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई का प्रतीक बन सकता है। जानकार कहते हैं कि अगर CBI को हरी झंडी मिली, तो पुराने कागज बाहर आएंगे। झारखंड में भर्ती घोटालों का इतिहास लंबा है।



