Jharkhand News: झारखंड में नई जमीन आवंटन नीति, अब फैक्ट्री की जमीन 5 साल पहले नहीं बिकेगी
झारखंड सरकार की नई नीति, अब 5 साल बाद ही बेची जा सकेगी औद्योगिक जमीन, मुनाफाखोरी पर लगेगी रोक।

Jharkhand News: नई दिल्ली, झारखंड सरकार ने औद्योगिक जमीन के लिए एक नई नीति का ड्राफ्ट तैयार कर लिया है। इस नीति से राज्य में जमीन खरीदकर मुनाफा कमाने का खेल खत्म हो जाएगा। अब कोई भी कारोबारी अपनी फैक्ट्री की जमीन को उत्पादन शुरू करने के 5 साल बाद ही बेच या किसी और को दे सकेगा। यह नियम आदित्यपुर जैसे सभी औद्योगिक इलाकों में लागू होगा। सरकार का मकसद है कि जमीन सिर्फ असली कारोबारियों को मिले, न कि सट्टेबाजों को।
यह नीति झारखंड में उद्योग को बढ़ावा देने के लिए बनाई गई है। पहले कई लोग सस्ती दर पर जमीन लेते थे और बिना फैक्ट्री लगाए उसे महंगे दाम पर बेच देते थे। इससे सच्चे उद्यमी परेशान होते थे और राज्य का विकास रुक जाता था। अब नई नीति से यह समस्या दूर होगी।
जमीन बेचने पर सख्त नियम, मुनाफाखोरी पर रोक
नई नीति में 5 साल का लॉक-इन पीरियड रखा गया है। इसका मतलब है कि फैक्ट्री शुरू करने के बाद 5 साल तक जमीन या इकाई को नहीं बेचा जा सकेगा। इससे सिर्फ वे लोग जमीन लेंगे जो सच में कारोबार करना चाहते हैं। सरकार का कहना है कि इससे जमीन की जमाखोरी बंद होगी और औद्योगिक विकास तेज होगा।
पहले झारखंड इंडस्ट्रियल एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी (जियाडा) से जमीन मिलने के बाद लोग उसे जल्दी बेच देते थे। अब ऐसा नहीं होगा। यह बदलाव राज्य के सभी औद्योगिक क्षेत्रों में लागू होगा, जैसे आदित्यपुर, रांची और अन्य जगहों पर।
ट्रांसफर शुल्क बढ़ा, कारोबारियों पर असर
नीति में सिर्फ समय की शर्त नहीं है, बल्कि इकाई ट्रांसफर करने पर लगने वाला शुल्क भी बढ़ाया गया है। छोटे और मध्यम कारोबार (एमएसएमई) के लिए यह शुल्क जमीन की मौजूदा कीमत का 15% से बढ़ाकर 25% कर दिया जाएगा। बड़ी फैक्टरियों के लिए यह 25% से 40% हो जाएगा। इससे जमीन को निवेश का साधन समझने वाले लोग दूर रहेंगे।
यह बढ़ोतरी कारोबारियों की जेब पर बोझ डालेगी, लेकिन सरकार का मानना है कि इससे सही लोग आगे आएंगे। उदाहरण के लिए, अगर कोई फैक्ट्री ट्रांसफर करता है तो उसे ज्यादा पैसे देने पड़ेंगे।
आवेदन के लिए नए नियम, सिर्फ मजबूत कारोबारी आएंगे आगे
सरकार ने जमीन लेने के लिए पात्रता भी सख्त कर दी है। अब आवेदक की अपनी संपत्ति (नेट वर्थ) परियोजना की कुल लागत का कम से कम 30% होनी चाहिए। साथ ही, उनका सालाना कारोबार (टर्नओवर) भी देखा जाएगा। जैसे, आदित्यपुर में 21,780 से 43,560 वर्ग फीट जमीन के लिए कम से कम 3 करोड़ रुपये का टर्नओवर जरूरी होगा।
यह नियम सुनिश्चित करेंगे कि सिर्फ वित्तीय रूप से मजबूत और गंभीर लोग ही आवेदन करें। इससे फर्जी आवेदन कम होंगे और राज्य में असली उद्योग बढ़ेंगे।