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संगीत चिकित्सा का रहस्य जाने – संगीत चिकित्सा से होने वाले लाभ और संगीत की लय से स्वास्थ्य में नई क्रांति !

भारत में मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य का नया क्रांतिकारी उपाय !

नई दिल्ली: संगीत चिकित्सा क्या है?

विशेषज्ञों की मदद से लोगों की सेहत को सुधारने के लिए संगीत चिकित्सा एक सरल और वैज्ञानिक उपाय है। गीत सुनना, वाद्ययत्र बजाना या नई धुन बनाना इसमें शामिल है।यह हर व्यक्ति की आवश्यकताओं के अनुसार बनाया गया है।इंडियन एसोसिएशन ऑफ म्यूजिक थेरेपी (IAMT) का मानना है कि यह एक व्यवस्थित स्वास्थ्य सुधार प्रक्रिया है।वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ म्यूजिक थेरेपी का अनुमान है कि 2027 तक 50 से अधिक देशों में 12000 से अधिक विशेषज्ञ काम करेंगे।

(अक्टूबर 2024) रिपोर्ट के अनुसार, यह तेजी से मुंबई, दिल्ली और चेन्नई के अस्पतालों में लोकप्रिय है। राग-आधारित चिकित्सा की पुरानी परंपरा को वर्तमान विज्ञान से जोड़ा जा रहा है जिसमें अमेरिका जैसे देश भी इसे तेजी से अपना रहे है |

क्यों काम करती है संगीत चिकित्सा?

विचार और भावनाओं की उठापटक से शरीर में पैदा होने वाली विकृतियों को दूर करने में संगीत की भूमिका अहम है। दिमाग के कई हिस्से संगीत से सक्रिय होते हैं। मानसिक बीमारी में दवाओं से ज्यादा प्रभाव संगीत का पड़ता है
पबमेड सेंट्रल अध्ययन के अनुसार, संगीत सुनने से डोपामाइन का उत्पादन होता है, जो तनाव हार्मोन कोर्टिसोल को 27 प्रतिशत कम करता है।
यह प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स (भावना), मोटर कॉर्टेक्स (गति) और एमिग्डाला (याददाश्त) वाले दिमाग के भागों को जोड़ता है।
जर्नल ऑफ न्यूरोसाइंस (2024) ने बताया कि अल्जाइमर से पीड़ित लोगों में दिमाग की कनेक्टिविटी 18% ज्यादा हो जाती है।
गूगल ट्रेंड्स डेटा के अनुसार, भारत में “म्यूजिक थेरेपी” की खोज 15% बढ़ी है। यानी, संगीत दिमाग और सेहत को ठीक करता है।

कब और कैसे करें संगीत चिकित्सा ?

संगीत में हर राग का अपना अलग महत्व है। सुबह के समय राग भैरवी, दोपहर में तोड़ी और शाम को जय-जयवंती राग अलग-अलग प्रभाव बनाती है और मानसिक विकृतियों को दूर करती है।
संगीत की भाषा में कहा जाए तो मनुष्य के अंदर एक नहीं बल्कि दो ब्रेन होते हैं। एक तो सर्वविदित है और दूसरा पेट है। दोनों ब्रेन संगीत में एक-दूसरे को सिग्नल देते हैं।
संगीत चिकित्सा आसान है लेकिन विशेषज्ञ की सलाह लेनी चाहिए। डॉक्टर आपकी समस्या के अनुसार संगीत चुनते हैं, जो 30 से 45 मिनट तक का होता है।

प्रमुख स्वर और संगीत चिकित्सा से होने वाले लाभ क्या है? उन्हें कब सुनें:

नियमित रूप से संगीत सुनने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है।राग मोहिनी और राग आशावरी आत्मविश्वास बढ़ाने में सहायक हैं।
राग भैरवी : दिल की धड़कन को 15 प्रतिशत तक कम करता है।
यह भावुक और शांत राग है, जिससे तनाव और चिंता कम होती है।
चिकित्सा कहते हैं कि यह मन को शांत करता है।
किस समय सुनें? , सुबह 6-8 बजे या रात 8-10 बजे या जब अधिक तनाव होता है |

यमन राग : यह एक रात का राग है, जो तनाव को दूर करता है। टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल में पेलिएटिव केयर में इसका उपयोग किया गया, जहां 5% मरीजों ने इसका लाभ उठाया।
किस समय सुनें? रात 7 से 9 बजे, खासकर दर्द या नींद न आने पर ।

पारंपरिक भजन: ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों के लिए भजन गाना उनके अंदर सामाजिकता को बढ़ाता है।
किस समय सुनें? सुबह 9 से 11 बजे |
देश में 600 से अधिक विशेषज्ञ हैं। म्यूजिक ट्राइब जैसे ऐप्स शहरों में वर्चुअल सत्र प्रदान कर रहे है ।

निष्कर्ष: हर घर में संगीत
संगीत चिकित्सा एक आसान, सस्ता और वैज्ञानिक उपाय है जो बीमारियों, तनाव और दर्द से लड़ता है।
सुबह-शाम राग भैरवी और यमन संगीत सुनने से आपकी सेहत सुधर सकती है।
भारत में यह तेजी से फैल रहा है, लेकिन गाँवों में इसकी पहुंच और जागरूकता दोनों अभी कम है।
व्यापार स्टैंडर्ड (2025) का अनुमान है कि वेलनेस क्षेत्र 2027 तक 28 प्रतिशत बढ़ोत्तरी का अनुमान है । आयुष्मान भारत में इसे शामिल करने से लाखों लोग इसका लाभ उठा सकते हैं।
आज एक स्वर सुनें— आपके इस छोटे से कदम से आपकी जिंदगी बदल सकती हैं।

PRAGATI DIXIT
Author: PRAGATI DIXIT

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