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***|| जय श्री राधे ||*******ll जय श्री राधे ll****
वैशाख
“””””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)
तिथि————अष्टमी 07:35:14 तक
पक्ष———————— शुक्ल
नक्षत्र——- आश्लेषा 14:00:16
योग————– वृद्वि 24:18:43
करण————– बव 07:35:14
करण———– बालव 20:01:18
वार———————- सोमवार
माह———————– वैशाख
चन्द्र राशि——- कर्क 14:00:16
चन्द्र राशि—————– सिंह
सूर्य राशि——————- मेष
रितु———————— ग्रीष्म
आयन—————— उत्तरायण
संवत्सर—————– विश्वावसु
संवत्सर (उत्तर)————– सिद्धार्थी
विक्रम संवत—————- 2082
गुजराती संवत————– 2081
शक संवत—————– 1947
कलि संवत—————– 5126
वृन्दावन
सूर्योदय————– 05:38:08
सूर्यास्त—————- 18:53:59
दिन काल————-13:15:51
रात्री काल————- 10:43:25
चंद्रोदय————– 12:37:26
चंद्रास्त—————- 26:05:25
लग्न—- मेष 20°33′ , 20°33′
सूर्य नक्षत्र—————– भरणी
चन्द्र नक्षत्र————– आश्लेषा
नक्षत्र पाया—————— रजत
🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩
डे—- आश्लेषा 07:39:02
डो—- आश्लेषा 14:00:16
मा—- मघा 20:24:12
मी—- मघा 26:50:43
💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮
ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
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सूर्य= मेष 20°40, भरणी 2 लू
चन्द्र= कर्क 12°30 , आश्लेषा 3 डे
बुध =मीन 27°52 ‘ रेवती 4 ची
शु क्र= मीन 08°05, उ o फाo’ 2 थ
मंगल=कर्क 12°30 ‘ पुष्य ‘ 3 हो
गुरु=वृषभ 27°30 मृगशिरा, 2 वो
शनि=मीन 04°88 ‘ उ o भा o , 1 दू
राहू=(व) मीन 00°45 पू o भा o, 4 दी
केतु= (व)कन्या 00°45 उ oफा o 2 टो
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🚩💮🚩 शुभा$शुभ मुहूर्त 🚩💮🚩
राहू काल 07:18 – 08:57 अशुभ
यम घंटा 10:37 – 12:16 अशुभ
गुली काल 13:56 – 15: 35अशुभ
अभिजित 11:50 – 12:43 शुभ
दूर मुहूर्त 12:43 – 13:36 अशुभ
दूर मुहूर्त 15:22 – 16:15 अशुभ
वर्ज्यम 26:51* – 28:34* अशुभ
प्रदोष 18:54 – 21:04 शुभ
🚩गंड मूल. अहोरात्र अशुभ
💮चोघडिया, दिन
अमृत 05:38 – 07:18 शुभ
काल 07:18 – 08:57 अशुभ
शुभ 08:57 – 10:37 शुभ
रोग 10:37 – 12:16 अशुभ
उद्वेग 12:16 – 13:56 अशुभ
चर 13:56 – 15:35 शुभ
लाभ 15:35 – 17:15 शुभ
अमृत 17:15 – 18:54 शुभ
🚩चोघडिया, रात
चर 18:54 – 20:14 शुभ
रोग 20:14 – 21:35 अशुभ
काल 21:35 – 22:55 अशुभ
लाभ 22:55 – 24:16* शुभ
उद्वेग 24:16* – 25:36* अशुभ
शुभ 25:36* – 26:57* शुभ
अमृत 26:57* – 28:17* शुभ
चर 28:17* – 29:37* शुभ
💮होरा, दिन
चन्द्र 05:38 – 06:44
शनि 06:44 – 07:51
बृहस्पति 07:51 – 08:57
मंगल 08:57 – 10:03
सूर्य 10:03 – 11:10
शुक्र 11:10 – 12:16
बुध 12:16 – 13:22
चन्द्र 13:22 – 14:29
शनि 14:29 – 15:35
बृहस्पति 15:35 – 16:41
मंगल 16:41 – 17:48
सूर्य 17:48 – 18:54
🚩होरा, रात
शुक्र 18:54 – 19:48
बुध 19:48 – 20:41
चन्द्र 20:41 – 21:35
शनि 21:35 – 22:28
बृहस्पति 22:28 – 23:22
मंगल 23:22 – 24:16
सूर्य 24:16* – 25:09
शुक्र 25:09* – 26:03
बुध 26:03* – 26:57
चन्द्र 26:57* – 27:50
शनि 27:50* – 28:44
बृहस्पति 28:44* – 29:37
🚩उदयलग्न प्रवेशकाल 🚩
मेष > 04:32 से 06:06 तक
वृषभ > 06:06 से 07:50 तक
मिथुन > 07:50 से 10:30 तक
कर्क > 10:30 से 12:44 तक
सिंह > 12:44 से 15:00 तक
कन्या > 15:00 से 17:16 तक
तुला > 17:16 से 19:28 तक
वृश्चिक > 19:28 से 21:56 तक
धनु > 21:56 से 00:08 तक
मकर > 00:08 से 01:46 तक
कुम्भ > 01:46 से 03:06 तक
मीन > 03:06 से 04:28 तक
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🚩विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार
(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
💮दिशा शूल ज्ञान————-पूर्व
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा काजू खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll
🚩 अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।
8 + 2 + 1 = 11 ÷ 4 = 3 शेष
मृत्यु लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l
🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
शुक्र ग्रह मुखहुति
💮 शिव वास एवं फल -:
8 + 8 + 5 = 21 ÷ 7 = 0 शेष
शमशान वास = मृत्यु कारक
🚩भद्रा वास एवं फल -:
स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।
💮🚩 विशेष जानकारी 🚩💮
* जानकी नवमी
*श्रीजी मन्दिर 4 दिन चाव सवारी श्री राधावल्लभ जी
💮🚩💮 शुभ विचार 💮🚩💮
मांसभक्षैः सुरापानैः मूर्खैश्चाऽक्षरवर्जितैः ।
पशुभि पुरुषाकारर्भाराक्रान्ताऽस्ति मेदिनी ।।
।। चा o नी o।।
यह धरती उन लोगो के भार से दबी जा रही है, जो मास खाते है, दारू पीते है, बेवकूफ है, वे सब तो आदमी होते हुए पशु ही है.
🚩💮🚩 सुभाषितानि 🚩💮🚩
गीता -:श्रद्धात्रयविभागयोग :- अo-17
दातव्यमिति यद्दानं दीयतेऽनुपकारिणे।,
देशे काले च पात्रे च तद्दानं सात्त्विकं स्मृतम्॥,
दान देना ही कर्तव्य है- ऐसे भाव से जो दान देश तथा काल (जिस देश-काल में जिस वस्तु का अभाव हो, वही देश-काल, उस वस्तु द्वारा प्राणियों की सेवा करने के लिए योग्य समझा जाता है।,) और पात्र के (भूखे, अनाथ, दुःखी, रोगी और असमर्थ तथा भिक्षुक आदि तो अन्न, वस्त्र और ओषधि एवं जिस वस्तु का जिसके पास अभाव हो, उस वस्तु द्वारा सेवा करने के लिए योग्य पात्र समझे जाते हैं और श्रेष्ठ आचरणों वाले विद्वान् ब्राह्मणजन धनादि सब प्रकार के पदार्थों द्वारा सेवा करने के लिए योग्य पात्र समझे जाते हैं।,) प्राप्त होने पर उपकार न करने वाले के प्रति दिया जाता है, वह दान सात्त्विक कहा गया है॥,20॥,
