Panchayat Season 4 Review: पंचायत के सीजन 4 में राजनीति ने मजा किया किरकिरा, दर्शकों की हंसी हुई गायब
फुलेरा में चुनावी ड्रामा, सादगी गायब, नीना-जीतेंद्र का अभिनय चमका, मिली-जुली प्रतिक्रिया

Panchayat Season 4 Review: अमेजन प्राइम वीडियो की मशहूर वेब सीरीज ‘पंचायत’ का चौथा सीजन 24 जून को रिलीज हो गया है। नीना गुप्ता, जीतेंद्र कुमार और रघुबीर यादव जैसे सितारों से सजी यह सीरीज पहले तीन सीजनों में फुलेरा गांव की सादगी और हंसी-मजाक के लिए जानी जाती थी। लेकिन इस बार सीजन 4 में ज्यादा राजनीति और चुनावी ड्रामे ने कहानी का मजा थोड़ा कम कर दिया है। दर्शकों और समीक्षकों ने इसे मिली-जुली प्रतिक्रिया दी है। आइए जानें क्या है इस सीजन में खास और क्या रहा निराशाजनक।
फुलेरा में चुनावी जंग, मंजू देवी बनाम क्रांति देवी
पंचायत सीजन 4 की कहानी वहीं से शुरू होती है, जहां सीजन 3 खत्म हुआ था। फुलेरा गांव में प्रधान पद के लिए मंजू देवी (नीना गुप्ता) और क्रांति देवी (सुनीता राजवार) के बीच जोरदार टक्कर है। मंजू देवी का चुनाव चिन्ह ‘लौकी’ है, तो क्रांति देवी ने ‘प्रेशर कुकर’ चुना है। यह चुनावी लड़ाई पहले तो गांव की सादगी को दिखाती है, लेकिन धीरे-धीरे ज्यादा ड्रामा और झगड़ों में बदल जाती है। सचिव जी यानी अभिषेक त्रिपाठी (जीतेंद्र कुमार) भी इस बार गांव की राजनीति में फंसते नजर आते हैं।
Panchayat Season 4 Review: कहानी में कम हुई सादगी, हंसी गायब
पंचायत की खासियत थी इसकी सादगी, हल्का-फुल्का हास्य और गांव की जिंदगी का असली चित्रण। लेकिन सीजन 4 में ज्यादा ध्यान राजनीति और चुनावी हंगामे पर है, जिससे पहले जैसा मजा नहीं रहा। समीक्षकों का कहना है कि कहानी को जबरदस्ती खींचा गया है, और हंसी के पल बहुत कम हैं। अभिषेक और रिंकी (सान्विका) की प्रेम कहानी में थोड़ी ताजगी है, लेकिन यह भी ज्यादा प्रभाव नहीं छोड़ती। नीना गुप्ता और रघुबीर यादव ने शानदार अभिनय किया, पर उनकी भूमिकाओं को और बेहतर लिखा जा सकता था।
दर्शकों की राय और भविष्य की उम्मीद
सोशल मीडिया पर दर्शकों ने सीजन 4 को लेकर मिली-जुली बातें कही हैं। कुछ ने नीना गुप्ता और फैसल मलिक के अभिनय की तारीफ की, तो कुछ को कहानी धीमी और कम मजेदार लगी। कई फैंस को उम्मीद है कि सीजन 5 में पुरानी सादगी और हंसी वापस आएगी। यह सीजन 8 एपिसोड का है और अमेजन प्राइम वीडियो पर स्ट्रीम हो रहा है।