
Jharkhand News: कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने झारखंड हाई कोर्ट में याचिका दायर की, जिसमें चाईबासा के विशेष सांसद-विधायक कोर्ट द्वारा 24 मई 2025 को जारी गैर-जमानती वारंट को रद्द करने की मांग की गई। यह वारंट 2018 में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ कथित अपमानजनक टिप्पणी से जुड़े मानहानि मामले में जारी हुआ था। कोर्ट ने गांधी को 26 जून 2025 को पेश होने का निर्देश दिया है। यह मामला राजनीतिक और कानूनी हलकों में चर्चा का विषय बन गया है।
मानहानि मामले की कहानी
यह विवाद 2018 में राहुल गांधी के एक भाषण से शुरू हुआ, जिसमें उनकी टिप्पणी को शिकायतकर्ता ने अपमानजनक बताया। चाईबासा कोर्ट के गैर-जमानती वारंट जारी करने के फैसले ने मामले को और गंभीर बना दिया है। राहुल गांधी ने अब झारखंड हाई कोर्ट से इस वारंट को रद्द करने की अपील की है, जिससे यह मामला सुर्खियों में आ गया है।
कानूनी कार्रवाई और कोर्ट की प्रक्रिया
राहुल गांधी की याचिका में चाईबासा कोर्ट के फैसले की समीक्षा की मांग की गई है। गैर-जमानती वारंट आमतौर पर मानहानि जैसे मामलों में कम ही जारी होते हैं, जिसके चलते यह निर्णय चर्चा में है। राहुल गांधी की कानूनी टीम संभवतः प्रक्रियात्मक निष्पक्षता पर जोर देगी और वारंट की आवश्यकता पर सवाल उठाएगी, खासकर उनकी विपक्षी नेता की हैसियत को देखते हुए।
राहुल गाँधी की छवि पर पड़ेगा प्रभाव
यह मामला ऐसे समय में सामने आया है जब भारत में राजनीतिक माहौल तनावपूर्ण है। इस वारंट और मानहानि मामले का असर राहुल गांधी की सार्वजनिक छवि और कांग्रेस की रणनीति पर पड़ सकता है। समर्थक इसे विपक्षी नेताओं को निशाना बनाने की कोशिश मान रहे हैं, जबकि आलोचक इसे सार्वजनिक बयानों की जवाबदेही से जोड़ते हैं। हाई कोर्ट का फैसला इस तरह के मामलों के लिए मिसाल बन सकता है।
हाईकोर्ट क्या करेगी फैसला
झारखंड हाई कोर्ट अब राहुल गांधी की याचिका पर विचार करेगा। आगामी सुनवाई में कोर्ट का फैसला यह तय करेगा कि वारंट बरकरार रहेगा या रद्द होगा। फिलहाल, यह मामला सुर्खियों में बना हुआ है और भारत में कानून व राजनीति के बीच तालमेल को दर्शाता है।

Writer