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स्वामी सदानंद जी महाराज आज रांची के श्री राधाकृष्ण मंदिर का करेंगे उद्घाटन

रांची: श्री कृष्ण प्रणामी सेवा धाम ट्रस्ट द्वारा पुंदाग में निर्मित श्री राधाकृष्ण मंदिर का उद्घाटन रविवार को किया जाएगा. अरगोड़ा टीओपी के समीप से सुबह साढ़े दस बजे कलशयात्रा निकलेगी. कलशयात्रा पहुंचने के बाद मंदिर का उद्घाटन किया जाएगा. ट्रस्ट के संस्थापक एवं संरक्षक संत शिरोमणि श्री श्री 1008 स्वामी सदानंद जी महाराज समेत अन्य संत महात्माओं द्वारा मंदिर का उद्घाटन किया जाएगा. उद्घाटन के बाद पूजन और प्रसाद का वितरण किया जाएगा. दिन के दो बजे से प्रवचन शुरू होगा. संत शिरोमणि श्री श्री 1008 स्वामी सदानंद जी महाराज को राजकीय अतिथि का दर्जा मिला है.

स्वामी सदानंद जी महाराज स्वामी बनने से पहले शिक्षक थे. 1962 में उनकी पहली नियुक्ति हिसार जिले के गांव पाबड़ा के सरकारी स्कूल में हुई थी. इसी दौरान राष्ट्र सेवा की भावना से प्रभावित होकर स्वामी जी देश सेवा के लिए सेना में भर्ती हो गए. देश की सीमा पर दुश्मनों से मातृभूमि की रक्षा करते हुए भारतीय संतों की आदर्श जीवनशैली से प्रभावित होकर संतों की श्रेणी में आने की सोचने लगे. बाल्यावस्था से ही श्री कृष्ण प्रणामी मंदिर जूई, भिवानी में प्रार्थना सभा में प्रतिदिन भाग लिया करते थे, जहां श्रीकृष्ण प्रणामी पथ में दीक्षित संत श्री राधिकादास जी के ‘तुम सेवा से पाओगे पार’ इस आदर्श वाक्य से प्रभावित होकर धार्मिक क्षेत्र में पदार्पण किया. उन्होंने राधिकादास जी से प्रभावित होकर उनसे मंत्रदीक्षा प्राप्त की थी. उन्होंने शिष्य की प्रतिभा और कर्तव्यनिष्ठा आध्यात्मिक लगन को देखकर अपने गुरू मंगलदास महाराज के पास आध्यात्मिक अध्ययन के लिए कालिमपोंग (पश्चिम बंगाल) भेज दिया और 1972 में बंसत पंचमी के दिन सिलीगुड़ी मंदिर में वैराग्यभेष प्रदान करते हुए सदानंद नामकरण किया और गले में तुलसी की माना पहनाकर श्रीमद्भागवत कथा करने के लिए आदेश दिया.

स्वामी जी ने आठ हजार निर्धन कन्याओं का विशेष रूप से सिलीगुड़ी, रांची, भिवानी, हिसार, सिरसा, फतेहाबाद में सामूहिक विवाह कराया. गोवंश संरक्षण के लिए लगभग 113 गौशालाओं के निर्माण कार्य से 80 हजार बेसहारा गायों व नंदियों को आश्रय देने का कार्य किया है. उनके तत्वावधान में एक लाख पौधरोपण हुआ है. एक लाख 35 हजार पोलियोग्रस्त रोगियों का निरीक्षण करके 35000 रोगियों का ऑपरेशन करवाया और 45000 कैलीपर्स वितरण भी करवाया. सैनिक से संत बने स्वामी सदानंद महाराज भारतीय सेना, थैलेसीमिया और कैंसर पीड़ितों के लिए अब 121 रक्तदान शिविरों के माध्यम से 19500 यूनिट रक्त एकत्रित करके भी मानवता की सेवा कर चुके हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर स्वामी जी ने भारत को टीबी मुक्त अभियान के तहत 200 मरीजों को गोद लिया और उनका इलाज भी करवाया. कोविड-19 महामारी के दौरान स्वामी जी ने प्रधानमंत्री राहत कोष में 1 करोड़ 25 लाख 25 हजार 525 रुपये दिए. इसके अलावा कोविड राहत कोष में मुख्यमंत्री कोष के लिए 11-11 लाख रुपए का आर्थिक सहयोग दिया. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नेपाल नरेश द्वारा स्वामी जी को प्रबल गोरखादक्षिणबाहु पुरस्कार से सम्मानित किया गया. पिछले वर्ष बंशी लाल विश्वविद्यालय, भिवानी (हरियाणा) द्वारा उनके द्वारा किए गए जन-कल्याण कार्यों एवं राष्ट्रनिर्माण में अद्वितीय योगदान को ध्यान में रखकर डॉक्टर की मानद उपाधि से अंलकृत किया गया. सांस्कृतिक मंच के सौजन्य से आयोजित कार्यक्रम में हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री द्वारा स्वामी सदानंद जी को मां सरस्वती सम्मान से सम्मानित किया गया. उनकी पहचान ना सिर्फ भूटान, सिंगापुर, हांगकांग, अमेरिका व नेपाल सहित अन्य देशों में भी सेवा प्रकल्पों को संचालित करने के कारण राष्ट्रीय संत की उपाधि से विभूषित किया जा चुका है.

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