Bihar News: दलाई लामा को भारत रत्न देने की मांग, 80 से ज्यादा सांसदों ने उठाई आवाज
दलाई लामा के 90वें जन्मदिन पर भारत रत्न और संसद में भाषण की मांग, भारत-तिब्बत संबंध होंगे मजबूत

Bihar News: हाल ही में भारत के 80 से अधिक सांसदों ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा को भारत रत्न देने की मांग की है। यह मांग उनके 90वें जन्मदिन के अवसर पर और जोर पकड़ रही है। सांसदों का कहना है कि दलाई लामा ने भारत में शांति, अहिंसा और मानवता के लिए कई दशकों तक काम किया है। उनके योगदान को सम्मानित करने के लिए भारत रत्न जैसा सर्वोच्च सम्मान देना एक सही कदम होगा। यह खबर देशभर में चर्चा का विषय बनी हुई है और लोगों में इसके लिए उत्साह देखा जा रहा है।
संसद में भाषण का भी प्रस्ताव
सांसदों के एक समूह, जिसे ऑल पार्टी इंडियन पार्लियामेंट्री फोरम फॉर तिब्बत के नाम से जाना जाता है, ने न केवल भारत रत्न की मांग की, बल्कि यह भी सुझाव दिया कि दलाई लामा को भारतीय संसद में भाषण देने का मौका दिया जाए। उनका मानना है कि दलाई लामा का संदेश भारत और पूरी दुनिया के लिए प्रेरणा का काम करेगा। दलाई लामा पिछले 60 साल से भारत में रह रहे हैं और उन्होंने धर्मशाला से विश्व शांति का संदेश फैलाया है। सांसदों का कहना है कि उनका भाषण ऐतिहासिक होगा।
दलाई लामा का भारत से खास रिश्ता
दलाई लामा 1959 में तिब्बत से भारत आए थे और तब से वे हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में रह रहे हैं। उन्होंने भारत को अपना दूसरा घर माना है। उनकी शिक्षाओं और शांति के संदेश ने न केवल भारत, बल्कि पूरी दुनिया को प्रभावित किया है। सांसदों का कहना है कि भारत रत्न देकर देश उनके योगदान को सम्मान दे सकता है। दलाई लामा ने तिब्बती संस्कृति को जीवित रखने और विश्व में शांति फैलाने में बड़ी भूमिका निभाई है।
क्यों है यह मांग खास?
दलाई लामा को भारत रत्न देने की मांग इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि वे लंबे समय से शांति और अहिंसा के प्रतीक रहे हैं। उन्होंने तिब्बती संस्कृति को बचाने और विश्व स्तर पर शांति का संदेश देने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। सांसदों का कहना है कि यह कदम भारत-तिब्बत संबंधों को और मजबूत करेगा। साथ ही, यह भारत के शांति और अहिंसा के प्रति समर्पण को भी दिखाएगा।
क्या हो सकता है असर?
इस मांग से देश में उत्साह है, लेकिन कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि इससे भारत-चीन संबंधों पर असर पड़ सकता है। चीन दलाई लामा को अलगाववादी नेता मानता है, और इस तरह का कदम उसे नाराज कर सकता है। हालांकि, सांसदों का कहना है कि यह भारत का आंतरिक मामला है और दलाई लामा के योगदान को सम्मान देना जरूरी है।