
नई दिल्ली: आज, 21 सितंबर 2025 को साल का आखिरी सूर्य ग्रहण होगा। यह एक आंशिक (पार्शियल) सूर्य ग्रहण है, जो दक्षिण प्रशांत क्षेत्र, न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया के पूर्वी तट, प्रशांत द्वीपसमूह और अंटार्कटिका के कुछ हिस्सों में दिखाई देगा। भारत में यह ग्रहण दृश्यमान नहीं होगा, लेकिन इसके वैज्ञानिक और ज्योतिषीय प्रभावों पर चर्चा जरूरी है। हम यहां केवल सत्यापित तथ्य प्रस्तुत कर रहे हैं, जो नासा, टाइम एंड डेट जैसे विश्वसनीय स्रोतों और वैदिक ज्योतिष शास्त्रों पर आधारित हैं।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण: सूर्य ग्रहण क्या है?
सूर्य ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच आ जाता है, जिससे सूर्य का कुछ हिस्सा ढक जाता है। 21 सितंबर 2025 का यह आंशिक सूर्य ग्रहण चंद्रमा के अवरोही नोड पर होगा, जिसकी परिमाण (मैग्नीट्यूड) 0.855 होगी। इसका मतलब है कि सूर्य का लगभग 85% हिस्सा न्यूजीलैंड जैसे क्षेत्रों में ढका हुआ दिखेगा।
-
आरंभ: 17:29:43 यूटीसी (भारतीय समयानुसार रात 11:00 बजे, 21 सितंबर)
-
अधिकतम: 19:41:59 यूटीसी (भारतीय समयानुसार सुबह 1:12 बजे, 22 सितंबर)
-
समाप्ति: 21:53:45 यूटीसी (भारतीय समयानुसार सुबह 3:24 बजे, 22 सितंबर)
कहां दिखेगा? यह ग्रहण न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया के पूर्वी तट (जैसे नॉरफोक द्वीप), अमेरिकन समोआ, फिजी, फ्रेंच पॉलीनेशिया, किरिबाती, न्यू कैलेडोनिया, निउए, सोलोमन द्वीप, टोंगा, तुवालू, वानुअतु और वालिस एंड फुटुना में दृश्यमान होगा। भारत या उत्तरी गोलार्ध में इसे देखना संभव नहीं होगा।
सुरक्षित अवलोकन के लिए टिप्स:
-
सीधे सूर्य की ओर न देखें: इससे रेटिना को गंभीर नुकसान हो सकता है।
-
सोलर चश्मे का उपयोग: आईएसओ 12312-2 प्रमाणित चश्मे या विशेष सोलर फिल्टर का इस्तेमाल करें।
-
फोटोग्राफी के लिए: कैमरे पर सोलर फिल्टर अनिवार्य है।
-
ऑनलाइन स्ट्रीमिंग: भारत में रहने वाले लोग नासा या अन्य वैज्ञानिक वेबसाइट्स पर लाइव स्ट्रीम देख सकते हैं।
यह 2025 का दूसरा और अंतिम सूर्य ग्रहण है, जो खगोलीय घटना के रूप में महत्वपूर्ण है। यह पृथ्वी की कक्षा और चंद्रमा की स्थिति का एक शानदार उदाहरण है।
ज्योतिषीय दृष्टिकोण: कन्या राशि में ग्रहण का प्रभाव
वैदिक ज्योतिष में सूर्य ग्रहण को महत्वपूर्ण माना जाता है। यह ग्रहण आश्विन अमावस्या (सर्वपितृ अमावस्या) पर कन्या राशि में होगा, जो 122 वर्ष बाद ऐसा दुर्लभ संयोग है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, यह ग्रहण नई शुरुआतों के लिए शुभ नहीं माना जाता, लेकिन इसके बाद सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है। भारत में ग्रहण दृश्यमान न होने के कारण सूतक काल (12 घंटे पहले शुरू, सुबह 5:30 बजे से) का प्रभाव सीमित रहेगा, और धार्मिक कार्यों पर पूर्ण प्रतिबंध नहीं होगा।
राशि अनुसार प्रभाव:
-
मेष: करियर में उन्नति, नई नौकरी या प्रमोशन के योग।
-
वृषभ: वित्तीय स्थिरता, लेकिन निर्णय सोच-समझकर लें।
-
मिथुन: संचार और यात्रा में बाधाएं, रचनात्मकता में वृद्धि।
-
कर्क: पारिवारिक मामलों में सतर्कता, भावनात्मक संतुलन जरूरी।
-
सिंह: स्वास्थ्य पर ध्यान, नेतृत्व क्षमता मजबूत।
-
कन्या: परिवर्तनकारी प्रभाव, स्वास्थ्य और कार्यक्षेत्र में नई दिशा।
-
तुला: रिश्तों में संतुलन, साझेदारी मजबूत हो सकती है।
-
वृश्चिक: आध्यात्मिक जागरण, गुप्त मामलों में सफलता।
-
धनु: शिक्षा और यात्रा में सकारात्मक बदलाव।
-
मकर: मेहनत का फल, दीर्घकालिक योजनाएं सफल।
-
कुंभ: सामाजिक नेटवर्क में वृद्धि, नवाचार के अवसर।
-
मीन: अंतर्ज्ञान मजबूत, रचनात्मक कार्यों में लाभ।
म्यूटेबल राशियों (मिथुन, कन्या, धनु, मीन) पर इस ग्रहण का प्रभाव अधिक होगा, जिससे जीवन की दिनचर्या और प्राथमिकताओं में बदलाव संभव है। यह ‘काला चंद्रमा’ (ब्लैक मून) का प्रभाव लाता है, जो रहस्योद्घाटन और आत्ममंथन का समय है।
ज्योतिषीय उपाय और सावधानियां:
-
उपाय:
-
‘ॐ घृणि सूर्याय नमः’ मंत्र का 108 बार जाप करें।
-
गुड़, गेहूं या तांबे का दान करें।
-
गंगा स्नान या घर पर पवित्र जल से शुद्धिकरण करें।
-
-
सावधानियां:
-
नई शुरुआतें (जैसे विवाह, मुहूर्त कार्य) टालें।
-
ग्रहण काल में भोजन न करें।
-
यात्रा से बचें, हालांकि भारत में दृश्यमान न होने से सामान्य यात्रा पर कोई सख्त प्रतिबंध नहीं।
-
-
सकारात्मक पक्ष: ग्रहण के बाद शारदीय नवरात्रि (22 सितंबर से) शुरू होगी, जो सकारात्मक ऊर्जा और नई शुरुआत का प्रतीक है।
21 सितंबर 2025 का सूर्य ग्रहण प्रकृति का एक अद्भुत चमत्कार है, जो विज्ञान और ज्योतिष दोनों को जोड़ता है। वैज्ञानिक रूप से यह खगोलीय घटना हमें ब्रह्मांड की गतिशीलता समझाती है, जबकि ज्योतिषीय रूप से यह आत्ममंथन और सकारात्मक बदलाव का अवसर देती है। भारत में दृश्यमान न होने के बावजूद, इसके प्रभावों को समझना और उचित उपाय करना महत्वपूर्ण है। अधिक जानकारी के लिए नासा की आधिकारिक वेबसाइट या विश्वसनीय ज्योतिष स्रोतों का सहारा लें।