Religious
Sarhul Festival 2025: प्रकृति की आराधना और भव्य शोभायात्रा की तैयारियाँ पूरी

जमशेदपुर: प्रकृति और समुदाय की समृद्धि के प्रतीक सरहुल महोत्सव 2025 को लेकर आदिवासी समाज में उत्साह का माहौल है। आदिवासी मुंडा समाज सोपोडेरा, जमशेदपुर द्वारा आयोजित इस महोत्सव की तैयारियों की समीक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई, जिसकी अध्यक्षता रुद्र मुंडा ने की। बैठक में आयोजन समिति के संरक्षक राम सिंह मुंडा ने बताया कि 30 मार्च, रविवार को यह ऐतिहासिक पर्व पूरी भव्यता के साथ मनाया जाएगा।
सरहुल पर्व प्रकृति की पूजा और सम्मान का उत्सव है, जो मानव जीवन की सुख, शांति और समृद्धि के लिए मनाया जाता है। यह पर्व धरती, सूर्य, पहाड़, जंगल, पेड़-पौधे, नदी-नाले और नवसृजित फूलों के प्रति श्रद्धा प्रकट करने का अवसर है। सरहुल के दिन गाँव के पाहन (पुजारी) ग्राम देवता सहित सभी प्राकृतिक तत्वों की पूजा करेंगे। इस अवसर पर गाँव के बुजुर्ग, महिलाएँ, पुरुष और बच्चे बड़ी संख्या में एकत्र होंगे। समाज के सभी परिवार अपने-अपने घरों में साल पेड़ के फूल चढ़ाकर पूजा करेंगे और अपने घरों में सरना झंडा भी लगाएंगे।
सरहुल महोत्सव के दौरान एक भव्य शोभायात्रा निकाली जाएगी, जो सोपोडेरा फुटबॉल मैदान से पारंपरिक नृत्य, गीत और संगीत के साथ शुरू होकर बामनगोड़ा, बारिगोड़ा फाटक और सालगझुड़ी अंडरब्रिज होते हुए आदिवासी कला सांस्कृतिक स्थल, सालगाझुड़ी, बोरा फैक्ट्री के पास पहुँचेगी। यहाँ सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होगा, जिसमें आदिवासी समुदाय अपनी परंपरागत कला, संगीत और नृत्य का प्रदर्शन करेगा। आयोजन समिति ने बताया कि इस कार्यक्रम के लिए प्रशासनिक स्वीकृति प्राप्त हो चुकी है।




