पाकिस्तान को शशि थरूर का करारा जवाब, बोले- सेना और लोकतंत्र का बड़ा फर्क

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने एक बार फिर पाकिस्तान की राजनीति और वहां सेना की भूमिका पर तीखा प्रहार किया है। दिल्ली में एक पुस्तक विमोचन कार्यक्रम के दौरान थरूर ने कहा, “भारत में देश की सेना है, लेकिन पाकिस्तान में सेना का देश है।” उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत में लोग सेना में देश की रक्षा के लिए शामिल होते हैं, जबकि पाकिस्तान में सेना का मकसद सत्ता चलाना होता है।
थरूर का यह बयान ऐसे समय आया है जब पाकिस्तान लगातार राजनीतिक अस्थिरता और सेना के दबदबे से जूझ रहा है। उन्होंने पहले भी पाकिस्तान को आड़े हाथों लेते हुए कहा था कि भारत को पाकिस्तान से कुछ भी नहीं चाहिए और भारत उसके बिना भी खुश है, लेकिन पाकिस्तान धार्मिक आधार पर भारतीय क्षेत्रों पर कब्ज़ा करने की सोच रखता है।
पाकिस्तान में सेना का बढ़ता दखल
थरूर के बयान की पृष्ठभूमि में पाकिस्तान की सच्चाई भी झलकती है। पड़ोसी देश में निर्वाचित सरकारें अक्सर सेना की मर्जी के बिना नहीं टिक पातीं। बीते सात दशकों में कई बार सैन्य तख्तापलट हुए हैं और लोकतांत्रिक सरकारें भी सेना की अनुमति के बिना कोई बड़ा कदम उठाने में असमर्थ रही हैं।
भारत और पाकिस्तान में अंतर
इसके विपरीत, भारत में सेना पूरी तरह संवैधानिक ढांचे और चुनी हुई सरकार के अधीन काम करती है। 1962 का चीन युद्ध, 1971 का बांग्लादेश युद्ध या कारगिल संघर्ष—हर बार भारतीय सेना ने राजनीतिक नेतृत्व के आदेशों का पालन करते हुए अभियान चलाए।
थरूर का संकेत
शशि थरूर के इस बयान से यह साफ होता है कि भारत और पाकिस्तान में लोकतंत्र और सेना की भूमिका में बुनियादी अंतर है। भारत ने दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में सेना और राजनीति की सीमा तय रखी है, जबकि पाकिस्तान में सेना और राजनीति का घालमेल उसकी अस्थिरता का बड़ा कारण है।