ज्योतिष

Travel should not be undertaken in the western direction on Sundays and Fridays:दैनिक पंचांग 03::04::2025

🕉️ नमः शिवाय ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे 🚩

🚩विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार
नोट – विशेष आवश्यकता में, नौकरी करने में या नौकरी ज्वाइन करने में, विद्यार्थी को पंचक राहुकाल आदि यात्रा विचार नहीं
इसी प्रकार चौबीस घंटे के अंदर वापसी हो तो दिशाशूल नहीं लगता है
दिशा शूल ज्ञान —
रविवार और शुक्रवार को पश्चिम दिशा में यात्रा नहीं करनी चाहिए।
सोमवार और शनिवार को पूर्व दिशा में यात्रा नहीं करनी चाहिए
मंगलवार और बुधवार को उत्तर दिशा में यात्रा नहीं करनी चाहिए और गुरूवार को दक्षिण दिशा में यात्रा नहीं करनी चाहिए

मंगला मंगली विचार –
मंगल यदि प्रथम चतुर्थ सप्तम अष्टम या द्वादश भाव में हो तो मंगला मंगली दोष होता है किन्तु वही मंगल यदि अपने घर में हों या उच्च के हों या अपने सप्तम भाव को देख रहे हों या मंगल लग्नेश या भाग्येश हों या फिर मंगल पर शनि राहु और वृहस्पति का प्रभाव हो तो मंगल दोष समाप्त हो जाता है

नाड़ी दोष समाप्त कैसे होता है –
वर वधू की नाड़ी एक हो तो नाड़ी दोष लगता है और विवाह अच्छा नहीं माना जाता है किन्तु यदि वर वधू का नक्षत्र अलग अलग हो तो नाड़ी दोष समाप्त हो जाता है।वर वधू का नक्षत्र भी एक हो किंतु चरण अलग अलग हो तो उस स्थिति में भी नाड़ी दोष समाप्त हो जाता है और वर वधू की नाड़ी एक रहते हुए भी वैवाहिक जीवन शुभ होता है
(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट

नोट- दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें।
लाभ में व्यापार करें।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें।
🚩 अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।।
महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।
🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
*💮
🚩भद्रा वास एवं फल -:
स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।
💮🚩 विशेष जानकारी 🚩💮 *आपका आज का दिन आपके अच्छे विचारों अच्छी दिनचर्या एवं अच्छे प्रयासों से प्रभावित होगा। अच्छे प्रयासों और कर्मनिष्ठ दिनचर्या से नकारात्मक ग्रह भी अच्छे परिणाम देने लगते हैं इसलिए राशिफल को आधार बनाकर आज का दिन मत व्यतीत कीजिए

 

💮🚩💮 शुभ विचार 💮🚩💮
शाकेन रोगा वर्ध्दते पयसो वर्ध्दते तनुः ।
घृतेन वर्ध्दते वीर्यं मांसान्मासं प्रवर्ध्दते ।।
।। चा o नी o।।
शाक से रोग, दूध से शरीर, घी से वीर्य और मांस से मांस की वृध्दि होती है।
🚩💮🚩 सुभाषितानि 🚩💮🚩
गीता -: ज्ञानकर्मसन्यास योग अo-04
गतसङ्‍गस्य मुक्तस्य ज्ञानावस्थितचेतसः ।,
यज्ञायाचरतः कर्म समग्रं प्रविलीयते ॥,
जिसकी आसक्ति सर्वथा नष्ट हो गई है, जो देहाभिमान और ममता से रहित हो गया है, जिसका चित्त निरन्तर परमात्मा के ज्ञान में स्थित रहता है- ऐसा केवल यज्ञसम्पादन के लिए कर्म करने वाले मनुष्य के सम्पूर्ण कर्म भलीभाँति विलीन हो जाते हैं॥,23॥,
💮🚩 नाम राशि और जन्म की राशि कहां कहां —
देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!