खामेनेई पर फिर भड़के ट्रंप, बोले मैंने तुम्हें एक बर्बर मौत से बचाया…

हाल ही में समाप्त हुए 12 दिवसीय ईरान-इजरायल संघर्ष को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बयानबाजी तेज हो गई है। इस बार जुबानी हमला अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई के बीच देखने को मिला है। जहां खामेनेई ने अमेरिका को “थप्पड़ मारने” का दावा किया, वहीं ट्रंप ने इन दावों को “झूठ और बचकाना” कहकर खारिज कर दिया है।
खामेनेई का दावा – “हमने अमेरिका को सबक सिखाया”
26 जून को अपने एक टेलीविजन संबोधन में खामेनेई ने कहा कि ईरानी सेना ने कतर स्थित अमेरिकी सैन्य अड्डे पर हमला कर अमेरिका को “सीधा संदेश” दिया है। उन्होंने यह भी दावा किया कि अमेरिकी हमले ईरान के परमाणु ठिकानों पर कोई खास असर नहीं डाल सके।
ट्रंप का तीखा पलटवार – “तुम्हें बुरी तरह हराया गया”
इस बयान पर पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ सोशल’ पर जवाब देते हुए खामेनेई पर व्यक्तिगत हमला किया। उन्होंने लिखा: “मैंने तुम्हारे ठिकाने जानने के बावजूद इजरायल और अमेरिकी सेना को तुम्हारी हत्या से रोका। मैंने तुम्हें एक बर्बर मौत से बचाया। इसके लिए तुम्हें शुक्रगुजार होना चाहिए।”
ट्रंप ने दावा किया कि अमेरिकी हमलों ने ईरान के तीन प्रमुख परमाणु केंद्रों—फोर्डो, नटांज और इस्फहान—को गंभीर क्षति पहुंचाई है।
ईरानी विदेश मंत्री की प्रतिक्रिया – “अपमान बर्दाश्त नहीं”
ट्रंप के आक्रामक बयान पर ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने नाराजगी जताई। उन्होंने ‘एक्स’ (पूर्व ट्विटर) पर लिखा “अगर अमेरिका को ईमानदारी से समझौता करना है, तो उसे हमारे नेता का अपमान करना बंद करना होगा। लाखों ईरानियों की भावनाएं खामेनेई से जुड़ी हैं, उन्हें उकसाना खतरनाक हो सकता है।”
अराघची ने यह भी चेतावनी दी कि अगर अमेरिका किसी गलतफहमी में कदम उठाता है, तो ईरान अपनी “वास्तविक सैन्य शक्ति” दिखाने से पीछे नहीं हटेगा।
क्या यह अगली टकराव की भूमिका है?
24 जून को अमेरिका की मध्यस्थता से दोनों देशों के बीच संघर्षविराम लागू हुआ था, लेकिन अब फिर से गर्म हो रही बयानबाजी ने एक बार फिर तनाव को हवा दे दी है। यूके, फ्रांस और जर्मनी ने संयम बरतने की अपील की है और जिनेवा में अराघची के साथ बातचीत की तैयारी भी कर रहे हैं।
हालांकि, अराघची ने ट्रंप के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ से मुलाकात से इनकार कर दिया है, जिससे यह संकेत मिलता है कि फिलहाल किसी ठोस कूटनीतिक समाधान की संभावना कमजोर है।
नजरें अब अगले कदम पर
अब जब दोनों देशों के शीर्ष नेता खुलकर एक-दूसरे को ललकार रहे हैं, यह सवाल उठना लाज़िमी है — क्या यह केवल शब्दों की जंग है, या फिर एक नए भू-राजनीतिक संघर्ष की शुरुआत?
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