POK में हिंसा और प्रदर्शन: जेएसी से बातचीत के बावजूद नहीं निकला हल

डेस्क: पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (POK) में पिछले एक हफ्ते से जारी विरोध प्रदर्शनों और हिंसक झड़पों के बीच अब पाकिस्तान की शहबाज शरीफ सरकार बैकफुट पर नजर आ रही है। हालात को काबू में करने के लिए इस्लामाबाद ने जम्मू-कश्मीर संयुक्त अवामी एक्शन कमेटी (जेएसी) से वार्ता शुरू की है। हालांकि, गुरुवार को हुई उच्चस्तरीय बैठक के बावजूद बातचीत ठोस नतीजे तक नहीं पहुंच सकी और कुछ देर बाद ही रोक दी गई।
जेएसी नेता शौकत नवाज मीर ने साफ कहा है कि पाकिस्तान सरकार को सबसे पहले कम्युनिकेशन ब्लैकआउट हटाना होगा और मोबाइल-इंटरनेट सेवाएं बहाल करनी होंगी। कमेटी का कहना है कि जब तक संचार सेवाएं चालू नहीं होतीं, तब तक बातचीत आगे नहीं बढ़ सकती।
दूसरी ओर, पाक सरकार का दावा है कि अब तक की बातचीत सकारात्मक माहौल में हुई है और दोनों पक्षों ने एक-दूसरे की बात ध्यान से सुनी है। सरकार ने उम्मीद जताई कि जल्द ही समाधान निकल सकता है।
पाकिस्तान प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से बयान जारी कर कहा गया कि इस्लामाबाद से उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल पीओके भेजा गया है। बयान में दावा किया गया कि शरीफ सरकार पीओके के लोगों की जायज मांगों को स्वीकार करने और समस्याओं का हल निकालने के लिए तैयार है।
गौरतलब है कि जेएसी की अगुवाई में पीओके में लगातार हड़ताल और प्रदर्शनों की वजह से सामान्य जीवन पूरी तरह ठप हो गया है। जगह-जगह हिंसक झड़पें हुईं, जिसमें सुरक्षाबलों द्वारा फायरिंग की गई और कई जगहों पर आम लोगों ने भी सुरक्षाकर्मियों पर हमला किया। अब तक की घटनाओं में 10 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।
पीओके में हिंसा और संचार प्रतिबंधों को लेकर अंतर्राष्ट्रीय संगठनों ने चिंता जताई है। एमनेस्टी इंटरनेशनल ने पाकिस्तान सरकार से अपील की है कि वह शांतिपूर्ण प्रदर्शनों के अधिकार का सम्मान करे और बल प्रयोग से बचे। पाकिस्तान के ही मानवाधिकार संगठनों ने भी इस पर कड़ी आपत्ति जताई है।
इस बीच, पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने प्रदर्शनकारियों को चेतावनी देते हुए कहा कि “आज आपके पास जितना है, वह बहुत है।” उन्होंने यह भी दावा किया कि पाकिस्तान की सेना ने कश्मीर के लिए हर जातीय समूह—पंजाबी, पश्तून, सिंधी, बलूच और गिलगित-बाल्टिस्तान के लोगों का बलिदान दिया है।
पीओके में जारी इस अशांति ने न केवल पाकिस्तान सरकार की चिंता बढ़ा दी है, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी इसकी गूंज सुनाई देने लगी है।