खेती-किसानी

भूपेंद्रनाथ महतो शिक्षक से हुए रिटायर तो करने लगे खेतीबाड़ी, ऐसे बन गए झारखंड के लखपति किसान

पूर्वी सिंहभूम: झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिले के चाकुलिया प्रखंड की कुचियाशोली पंचायत के मातापुर निवासी 71 वर्षीय सेवानिवृत शिक्षक भूपेंद्रनाथ महतो किसानों के लिए प्रेरणा बन गए हैं. इतनी उम्र के बावजूद जज्बा ऐसा है कि वे दिनभर खेतों में काम करते रहते हैं. खेती से उनकी सालाना आमदनी 4 से 5 लाख रुपए है. वे आसपास के किसानों को जागरूक भी कर रहे हैं.

वर्ष 2013 में चाकुलिया के चियाबांधी स्कूल से सेवानिवृत होने के बाद भूपेंद्रनाथ महतो ने अन्य लोगों की तरह आराम करना उचित नहीं समझा. उनके पास आठ बीघा जमीन थी. नौकरी के दौरान खेतीबाड़ी पर ध्यान नहीं दे पाते थे. अब अपना सारा ध्यान कृषि कार्य में देने लगे. उन्हें गांव के अन्य किसानों को साल में सिर्फ एक खेती करता देख उन्हें काफी दु:ख होता था. समझाने पर भी किसान नहीं मानते थे. उन्होंने निश्चय किया कि वे वर्ष में तीन बार खेती करेंगे. उनकी सफलता देखकर दूसरे किसान भी उनका अनुसरण अवश्य करेंगे और हुआ भी यही. धान की फसल काटने के बाद भूपेंद्रनाथ महतो ने सरसों की बुआई कर दी. सरसों की फसल काटते ही अपनी जमीन पर तिल की खेती शुरू कर दी. ऐसा करके उन्होंने अच्छा मुनाफा कमाया. फिलहाल उन्होंने छह बीघा जमीन में उन्होंने सरसों की खेती की है. भूपेंद्रनाथ महतो की सरसों की लहलहाती फसलें सबको आकर्षित कर रही हैं.

सेवानिवृत शिक्षक भूपेंद्रनाथ महतो ने बताया कि वर्ष 1983 में उन्होंने बतौर शिक्षक सरकारी नौकरी में योगदान दिया था. धालभूमगढ़ के देवसोल, बहरागोड़ा प्रखंड स्थित चिंगड़ा में नौकरी करने के बाद उन्होंने चाकुलिया प्रखंड स्थित चियाबांधी स्कूल में नौकरी की. वर्ष 2013 में सेवानिवृत हुए. उनकी चार बेटियां हैं. चारों बेटियों की शादी हो चुकी है. परिवार में अभी पत्नी हैं. खेती-बाड़ी से अनाज उपजाकर वे खाते भी हैं और बेचकर अच्छा मुनाफा भी कमाते हैं. उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष करीब 2 लाख रुपए का धान,1 लाख रुपए की तिल और 1 लाख रुपए का सरसों बेचकर मुनाफा कमाया.

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