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भाषा के नाम पर गुंडागर्दी बर्दाश्त नहीं: देवेंद्र फडणवीस

महाराष्ट्र में हाल ही में भाषा को लेकर उपजे विवाद के बीच मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने स्पष्ट किया है कि राज्य को अपनी मराठी भाषा पर गर्व है, लेकिन इसके नाम पर किसी तरह की अराजकता या हिंसा को स्वीकार नहीं किया जाएगा। उनका यह बयान उस घटना के बाद सामने आया है, जिसमें कथित रूप से मराठी न बोलने पर एक गुजराती व्यक्ति के साथ मारपीट की गई थी और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया।

भाषा को लेकर हिंसा? कार्रवाई तय है: फडणवीस

मीडिया से बातचीत में फडणवीस ने दो टूक कहा, “मराठी से प्रेम होना अच्छी बात है, लेकिन किसी व्यक्ति पर भाषा को लेकर हमला करना कानून के खिलाफ है।” उन्होंने बताया कि पुलिस इस मामले में FIR दर्ज कर चुकी है और कार्रवाई भी जारी है। साथ ही चेतावनी दी कि भविष्य में अगर कोई भाषा विवाद फैलाने की कोशिश करता है, तो उसके खिलाफ भी सख्त कानूनी कदम उठाए जाएंगे।

“अंग्रेजी को अपनाते हैं, हिंदी से परहेज क्यों?”

फडणवीस ने समाज के एक वर्ग की मानसिकता पर सवाल उठाते हुए कहा, “लोग अंग्रेजी भाषा को सहजता से अपना लेते हैं, लेकिन हिंदी को लेकर अक्सर विवाद खड़े कर देते हैं। आखिर ये कैसी सोच है?” उन्होंने साफ किया कि भाषा के नाम पर नफरत फैलाने वालों के खिलाफ सरकार कठोर कार्रवाई करेगी।

मराठी थोपना नहीं, प्रेरित करना जरूरी है

अपनी बात को संतुलन देते हुए फडणवीस ने कहा कि मराठी भाषा को लेकर गर्व होना चाहिए, लेकिन यह गर्व अन्य भाषाओं के अपमान में नहीं बदलना चाहिए। उन्होंने कहा, “अगर कोई मराठी नहीं बोलता, तो उसका अपमान या हिंसा करना गलत है। मराठी का प्रचार करना है तो स्कूल खोलिए, लोगों को सिखाइए – लेकिन दबाव मत बनाइए।”

शरद पवार के बयान पर निशाना

राज्यसभा सांसद शरद पवार के एक पुराने बयान को याद दिलाते हुए फडणवीस ने कहा, “शिवाजी महाराज की प्रतिमा के अनावरण के वक्त पवार ने ‘जय महाराष्ट्र-जय कर्नाटक’ कहा था। तो क्या इसका मतलब ये निकाला जाए कि उन्हें कर्नाटक महाराष्ट्र से ज्यादा प्रिय है?” उन्होंने इसे राजनीतिक तूल देने से बचने की सलाह दी और कहा कि नेतागण जहां जाते हैं, वहां की संस्कृति और भावनाओं का सम्मान करते हैं – यह सामान्य राजनीतिक व्यवहार है।

एक भारत, समभाव जरूरी

फडणवीस ने कहा कि भारत एक विविधताओं से भरा राष्ट्र है और प्रत्येक राज्य, उसकी भाषा और संस्कृति का सम्मान करना जरूरी है। उन्होंने जोर देकर कहा, “महाराष्ट्र से प्रेम हो, ये स्वाभाविक है। लेकिन इससे दूसरे राज्यों के प्रति तिरस्कार का भाव नहीं होना चाहिए।”

उन्होंने यह भी कहा कि “अगर कोई शिंदे सरकार के राष्ट्रीय दृष्टिकोण पर सवाल खड़ा करता है तो वह संकुचित सोच को दर्शाता है।”

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