Bihar News: मुजफ्फरपुर में कुत्तों का आतंक, 7 महीने में 14 हजार से ज्यादा लोग काटे गए, 1 बच्ची की मौत, नसबंदी से रोकथाम की तैयारी
नगर निगम कुत्तों की नसबंदी योजना बना रहा है, आवारा कुत्तों के हमले से एक बच्ची की मौत

Bihar News: बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में आवारा कुत्तों का आतंक बढ़ता जा रहा है। पिछले सात महीनों में 14,537 लोग कुत्तों के काटने का शिकार हो चुके हैं। हर दिन औसतन 25 लोग इस समस्या से पीड़ित हो रहे हैं। इस दौरान एक छोटी बच्ची की कुत्तों के झुंड के हमले से मौत हो गई। सदर अस्पताल के रिकॉर्ड से पता चलता है कि जनवरी से जुलाई तक हर महीने सैकड़ों मामले आए हैं। नगर निगम अब कुत्तों की संख्या नियंत्रित करने के लिए नसबंदी की योजना बना रहा है। यह समस्या शहरवासियों के लिए बड़ा खतरा बन गई है, और लोग सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं।
Bihar News: कुत्तों के हमलों की संख्या और मौत का मामला
मुजफ्फरपुर सदर अस्पताल के आंकड़ों से खुलासा हुआ है कि जनवरी में 2319, फरवरी में 2442, मार्च में 2350, अप्रैल में 1901, मई में 1414, जून में 1935 और जुलाई में 2176 लोग कुत्तों के काटने से घायल हुए। कुल मिलाकर 14,537 मामले दर्ज हुए। इनमें से ज्यादातर शहर के इलाकों से हैं, जहां आवारा कुत्ते झुंड बनाकर घूमते हैं। एक दुखद घटना में कुत्तों के हमले से एक छोटी बच्ची की जान चली गई। डॉक्टरों का कहना है कि समय पर इंजेक्शन न लगने से समस्या बढ़ सकती है। लोग डर के मारे घर से कम निकल रहे हैं, खासकर बच्चे और बुजुर्ग।
नगर निगम की योजना “नसबंदी और सर्वे से होगी रोकथाम”
नगर निगम कुत्तों की बढ़ती संख्या को रोकने के लिए कदम उठा रहा है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद कुत्तों की नसबंदी तेज करने का फैसला लिया गया है। अब तक 10 वार्डों में सर्वे से 1000 से ज्यादा कुत्तों की पहचान हुई है। पहले पशुपालन विभाग के सर्वे में 2700 कुत्ते बताए गए थे। कम संख्या की वजह से नसबंदी के लिए एजेंसी नहीं मिल रही थी। अब नगर निगम खुद सर्वे करवा रहा है। सर्वे पूरा होने के बाद नई एजेंसी बुलाई जाएगी। नगर आयुक्त विक्रम विरकर ने कहा कि शहरवासियों को कुत्तों के डर से मुक्ति दिलाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के नियमों का पालन किया जाएगा।
अन्य उपाय और समस्या की जड़
नगर निगम मीट और मुर्गा दुकानदारों पर सड़क पर कचरा फेंकने पर रोक लगाएगा, क्योंकि इससे कुत्ते आकर्षित होते हैं। साथ ही, सार्वजनिक जगहों पर कुत्तों को खाना खिलाने के खिलाफ जागरूकता अभियान चलेगा। ढाई साल से नसबंदी के लिए टेंडर निकाले जा रहे हैं, लेकिन एजेंसियां नहीं आ रही हैं। एक बार ग्रामीण इलाकों में कुत्ते छोड़ने गई टीम पर हमला भी हुआ। लोग कहते हैं कि अगर जल्द कार्रवाई नहीं हुई, तो समस्या और बढ़ेगी। सरकार से मांग है कि कुत्तों की संख्या पर काबू पाया जाए।