
डेस्क: दिल्ली में साल 2020 में हुए उत्तर-पूर्वी दंगों के आरोपित शरजील इमाम ने एक बार फिर अदालत का दरवाजा खटखटाया है। शनिवार (6 अगस्त, 2025) को उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। यह याचिका दिल्ली हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती देती है जिसमें उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया गया था।
यह मामला नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) के खिलाफ फरवरी 2020 में हुए विरोध प्रदर्शनों से जुड़ा है। इन्हीं प्रदर्शनों के दौरान दिल्ली में हिंसा भड़की थी जिसमें 53 लोगों की मौत हुई थी और 700 से अधिक लोग घायल हुए थे। दिल्ली हाईकोर्ट ने जुलाई 2025 में शरजील इमाम के साथ ही कई अन्य आरोपियों की जमानत याचिकाएं खारिज कर दी थीं। इनमें उमर खालिद, गुलफिशा फातिमा, अतहर खान, अब्दुल खालिद सैफी, मोहम्मद सलीम खान, शिफा-उर-रहमान, मीरान हैदर और शादाब अहमद शामिल हैं। वहीं, तसलीम अहमद की जमानत याचिका भी एक अन्य खंडपीठ ने ठुकरा दी।
हाईकोर्ट की न्यायमूर्ति नवीन चावला और न्यायमूर्ति शालिंदर कौर की पीठ ने इन सभी याचिकाओं पर 9 जुलाई को फैसला सुरक्षित रखा था और बाद में सभी को खारिज कर दिया। अभियोजन पक्ष ने अदालत में कहा कि ये दंगे अचानक नहीं भड़के थे बल्कि यह एक पूर्व नियोजित साजिश थी। आरोप लगाया गया कि शरजील इमाम और उमर खालिद जैसे आरोपितों ने सुनियोजित तरीके से दंगों को अंजाम देने की रणनीति बनाई थी।
अभियोजन ने दंगों को “खतरनाक साजिश” करार देते हुए कहा कि इसका मकसद सामाजिक और राजनीतिक अस्थिरता फैलाना था। आरोपियों पर गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) और भारतीय दंड संहिता (IPC) की कई गंभीर धाराओं के तहत केस दर्ज किया गया है।
अब शरजील इमाम ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर जमानत की गुहार लगाई है। अदालत इस मामले की सुनवाई कब करेगी, इसे लेकर सभी की नजरें टिकी हैं। यह मामला न केवल कानूनी बहस का मुद्दा है बल्कि राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर भी गहन चर्चा का केंद्र बना हुआ है।
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