बिहार SIR से हटे 65 लाख मतदाता, देशभर में कटेंगे 15 करोड़ नाम, कौन आएगा जद में…

डेस्क: बिहार में चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के नतीजों ने चुनावी प्रक्रिया पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। मतदाता सूची के पहले ड्राफ्ट में 65 लाख मतदाताओं के नाम हटाए गए, जिनमें मृतक, स्थानांतरित, दोहरा इपिक रखने वाले और विदेशी नागरिक शामिल हैं। यह संख्या कुल मतदाताओं का लगभग 10% है। इस आंकड़े के आधार पर अनुमान लगाया जा रहा है कि यदि पूरे देश में इसी तरह का पुनरीक्षण किया गया, तो लगभग 15 करोड़ मतदाताओं के नाम सूची से बाहर हो सकते हैं।
सूत्रों के मुताबिक, बिहार में एसआईआर शुरू होने से पहले मतदाताओं की संख्या 7.89 करोड़ थी, जबकि ड्राफ्ट सूची में यह घटकर 7.24 करोड़ रह गई। यानी पहले ही दौर में 65 लाख नाम कट गए। इनमें से तीन लाख से अधिक लोगों को संदिग्ध नागरिकता के आधार पर नोटिस भेजा गया है। इतना ही नहीं, ड्राफ्ट सूची पर किए गए दावे-आपत्तियों में भी तीन लाख से अधिक आवेदन नाम काटने को लेकर ही आए हैं।
किन राज्यों में सबसे ज्यादा असर?
चुनाव आयोग से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि बिहार जैसी स्थिति अन्य राज्यों में भी देखने को मिल सकती है। पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल, ओडिशा और उत्तर प्रदेश में मृतक व स्थानांतरित मतदाताओं की संख्या और भी अधिक होने का अनुमान है। इसका कारण न केवल पलायन है, बल्कि घुसपैठ की समस्या भी है।
मतदाता संख्या और मतदान प्रतिशत
वर्तमान में देश की मतदाता सूची में लगभग 100 करोड़ मतदाता दर्ज हैं। यदि पुनरीक्षण के बाद इनमें से 15 करोड़ नाम हटते हैं, तो सूची घटकर करीब 85 करोड़ रह जाएगी। विश्लेषकों का कहना है कि इसका सीधा असर मतदान प्रतिशत पर पड़ेगा।
उदाहरण के लिए, 2024 के आम चुनाव में 100 करोड़ मतदाताओं में से 66% मतदान हुआ था। यदि मतदाताओं की संख्या घटकर 85 करोड़ रह जाती है, तो यही संख्या 77% के आसपास पहुंच सकती है। यानी मतदाता सूची की सफाई से मतदान प्रतिशत में लगभग 10% की बढ़ोतरी हो सकती है।
बिहार में अंतिम मतदाता सूची 30 सितंबर को प्रकाशित होगी। इसके बाद ही साफ होगा कि कुल कितने मतदाता नामांकन से बाहर हो गए हैं। लेकिन अभी से यह स्पष्ट है कि एसआईआर की प्रक्रिया देशभर की चुनावी तस्वीर बदल सकती है।