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भारत-अफगानिस्तान के संयुक्त बयान पर भड़का पाकिस्तान, अफगान राजदूत को तलब कर जताई कड़ी आपत्ति

नई दिल्ली: भारत और अफगानिस्तान के बीच जारी संयुक्त बयान पर पाकिस्तान ने कड़ा विरोध जताया है। इस बयान में जम्मू-कश्मीर से जुड़ी टिप्पणी को लेकर पाकिस्तान ने तीखी आपत्तियाँ दर्ज कराई हैं और इस मुद्दे पर इस्लामाबाद स्थित अफगान राजदूत को तलब किया गया।

दरअसल, अफगानिस्तान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी इन दिनों भारत के छह दिवसीय दौरे पर हैं। उनके दौरे के दौरान भारत और अफगानिस्तान ने एक संयुक्त वक्तव्य जारी किया था, जिसमें जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में अप्रैल 2025 में हुए आतंकी हमले की निंदा की गई थी। इस बयान में अफगानिस्तान ने भारत सरकार और वहां की जनता के प्रति एकजुटता और संवेदना व्यक्त की थी।

पाकिस्तान के विदेश कार्यालय (एफओ) ने शुक्रवार को एक बयान जारी करते हुए कहा कि अतिरिक्त विदेश सचिव (पश्चिम एशिया और अफगानिस्तान) ने अफगान दूत को तलब किया और उन्हें बताया कि इस संयुक्त बयान में जम्मू-कश्मीर को भारत का अभिन्न हिस्सा बताना, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों का स्पष्ट उल्लंघन है।

एफओ के बयान में कहा गया “पाकिस्तान ने अफगान दूत को अवगत कराया कि इस तरह की टिप्पणियाँ न केवल कश्मीर मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय स्थिति के विपरीत हैं, बल्कि इससे क्षेत्रीय शांति प्रयासों को भी नुकसान पहुंच सकता है।”

संयुक्त बयान में अफगानिस्तान और भारत ने आतंकवाद के हर रूप की निंदा करते हुए कहा था कि क्षेत्रीय देशों से उत्पन्न सभी आतंकी घटनाएं शांति और स्थिरता के लिए चुनौती हैं। दोनों देशों ने यह भी माना कि आपसी विश्वास और सहयोग के जरिए ही क्षेत्रीय सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकती है।

अफगानिस्तान ने पहलगाम हमले की निंदा करते हुए कहा था कि वह आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई में उसके साथ खड़ा है।

इस्लामाबाद ने अफगान विदेश मंत्री के बयान को बताया ‘गैर-जिम्मेदाराना’

पाकिस्तान ने अफगान विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी के उस बयान को भी खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने कहा था कि आतंकवाद पाकिस्तान का “आंतरिक मुद्दा” है।

पाकिस्तान के विदेश कार्यालय ने कहा, “आतंकवाद की जिम्मेदारी पाकिस्तान पर डालकर अफगान अंतरिम सरकार खुद को क्षेत्रीय शांति और स्थिरता बनाए रखने के दायित्वों से मुक्त नहीं कर सकती।”

एफओ ने यह भी जोड़ा कि पाकिस्तान ने बीते चार दशकों से अधिक समय तक लगभग 40 लाख अफगान नागरिकों को शरण दी है, और अब यह समय आ गया है कि गैर-पंजीकृत अफगान नागरिक स्वदेश लौट जाएं।

कूटनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि यह विवाद दोनों देशों के बीच पहले से तनावपूर्ण संबंधों को और जटिल बना सकता है। अफगानिस्तान में तालिबान सरकार के आने के बाद से पाकिस्तान लगातार सीमा पार हमलों और आतंकी गतिविधियों को लेकर असंतोष जताता रहा है, जबकि काबुल प्रशासन इन्हें “आंतरिक अस्थिरता” का नतीजा बताता है।

वहीं, भारत के साथ अफगानिस्तान की बढ़ती कूटनीतिक नजदीकियां इस्लामाबाद को रणनीतिक तौर पर असहज स्थिति में ला रही हैं।

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