प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी को बड़ा झटका, सिर्फ 0-2 सीटें मिलने का अनुमान
एग्जिट पोल में एनडीए की बढ़त, जन सुराज की उम्मीदों पर पानी-पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ रही जन सुराज को 0 से 2 सीटों तक सीमित रहने का अनुमान है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि जनता ने प्रशांत किशोर के विज़न को पूरी तरह स्वीकार नहीं किया, जिससे पार्टी को बड़ा नुकसान हुआ।
डेस्क:बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के एग्ज़िट पोल के शुरुआती रुझानों ने राजनीतिक हलचल तेज कर दी है। ताजा अनुमानों के अनुसार, राज्य में एक बार फिर एनडीए गठबंधन की सरकार बनती नजर आ रही है, जबकि प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज को उम्मीद के मुताबिक सफलता नहीं मिल रही है।
जन सुराज को निराशाजनक वोट शेयर का अनुमान
एग्ज़िट पोल के आंकड़ों के मुताबिक, जन सुराज पार्टी को कुल 5% वोट शेयर मिलने की संभावना जताई गई है। वर्गवार वोट शेयर इस प्रकार अनुमानित हैं:
| वर्ग | अनुमानित वोट प्रतिशत |
|---|---|
| पुरुष वोट | 6% |
| महिला वोट | 6% |
| सामान्य वर्ग | 7% |
| ओबीसी | 4% |
| एससी | 5% |
| मुस्लिम वर्ग | 4% |
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि प्रशांत किशोर के अभियानों में युवाओं और ग्रामीण क्षेत्रों में कुछ असर जरूर दिखा, लेकिन वह बड़े पैमाने पर वोट में तब्दील नहीं हो सका।
एनडीए को मिल सकती हैं इतनी सीटें
एग्ज़िट पोल के मुताबिक, एनडीए गठबंधन को इस बार 147 से 167 सीटें मिलने का अनुमान है। इसमें भाजपा, जदयू और अन्य सहयोगी दलों के बीच सीटों का बंटवारा इस प्रकार हो सकता है:
| पार्टी | अनुमानित सीटें |
|---|---|
| भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) | 65-73 |
| जनता दल (यूनाइटेड) | 67-75 |
| हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) | 4-5 |
| लोक जनशक्ति पार्टी | 7-9 |
| राष्ट्रीय लोक मोर्चा | 1-2 |
महागठबंधन को नुकसान की संभावना
वहीं, महागठबंधन को इस बार बड़ा झटका लग सकता है। अनुमानों के अनुसार, गठबंधन को कुल 70 से 90 सीटें मिलने का अनुमान है। प्रमुख दलों की स्थिति इस प्रकार रह सकती है:
| पार्टी | अनुमानित सीटें |
|---|---|
| राष्ट्रीय जनता दल (राजद) | 53-58 |
| कांग्रेस | 10-12 |
| भाकपा (माले) लिबरेशन | 5-8 |
| भाकपा व माकपा | 2-3 |
| विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) | 1-4 |
राजनीतिक विश्लेषण: जन सुराज का ‘जन’ तक न पहुंच पाना
राजनीति के जानकारों के अनुसार, प्रशांत किशोर की जन सुराज यात्रा ने राज्य में मुद्दों को जरूर उठाया, लेकिन संगठनात्मक मजबूती और ग्राउंड लेवल नेटवर्क की कमी पार्टी की सबसे बड़ी चुनौती बन गई।
वोटरों के बीच पीके की व्यक्तिगत पहचान तो मजबूत रही, लेकिन पार्टी का जनाधार नहीं बन पाया।
एक वरिष्ठ विश्लेषक के मुताबिक —
“जन सुराज का विज़न आकर्षक था, लेकिन पार्टी संरचना और स्थानीय स्तर पर विश्वसनीय चेहरों की कमी ने जनता को भ्रमित किया। प्रशांत किशोर का करिश्मा इस बार वोटों में तब्दील नहीं हो पाया।”
निष्कर्ष:
एग्जिट पोल के ये आंकड़े भले ही जन सुराज के लिए निराशाजनक हों, लेकिन राजनीति में हर हार एक सबक होती है।
प्रशांत किशोर के लिए यह परिणाम आने वाले समय में पार्टी की रणनीति और ग्राउंड कनेक्ट को मजबूत करने का मौका हो सकता है।
अंतिम नतीजे आने के बाद ही स्पष्ट होगा कि बिहार की जनता ने किस पर भरोसा जताया है — लेकिन एग्जिट पोल के संकेत एक बार फिर सत्ता परिवर्तन के बजाय स्थिरता की ओर इशारा कर रहे हैं।



