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बाजार गिरा, GMP धरा रह गया, निवेशक रोते रह गए Sagility India IPO की पूरी पोल खुली

Sagility India IPO में GMP ₹11 था, सब्सक्रिप्शन 4.38x, फिर भी लिस्टिंग सिर्फ 5-7% पर! 100% OFS, महंगा वैल्यूएशन और बाजार की मार ने क्यों तोड़ा निवेशकों का भरोसा? पूरी रिपोर्ट पढ़ें।

डेस्क – हाल ही में बाजार में एक के बाद एक कई IPO आए, जिनमें से ज्यादातर ने लिस्टिंग के दिन तगड़ा मुनाफा दिया। लेकिन एक IPO ऐसा भी आया, जिसने निवेशकों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया। ग्रे मार्केट प्रीमियम (GMP) काफी अच्छा था, सबको लग रहा था कि 30-40% का लिस्टिंग गेन तो पक्का है, पर लिस्टिंग के दिन शेयर सिर्फ 4-8% ऊपर खुला और दिन भर दबाव में रहा। आखिर ऐसा क्यों हुआ? क्या गलती हुई? आज इसी की पूरी पड़ताल करते हैं,

पहले जानते हैं – कौन सा IPO है ये?       

हम बात कर रहे हैं Sagility India Limited के IPO की। कंपनी हेल्थकेयर सेक्टर में हेल्थ केयर टेक्नोलॉजी और BPO सर्विसेज देती है। इसका IPO 5-7 नवंबर 2025 को खुला था और 12 नवंबर को शेयर बाजार में लिस्ट हुआ। इश्यू साइज करीब 2,200 करोड़ रुपए का था और प्राइस बैंड ₹28-30 था।

निवेशकों को उम्मीद थी बंपर लिस्टिंग की।       

. सब्सक्रिप्शन के समय IPO 4.38 गुना भरा था।

.  QIB का हिस्सा 8.4 गुना, NII 4.3 गुना और रिटेल 1.8 गुना भरा।

. ग्रे मार्केट में GMP लिस्टिंग से एक-दो दिन पहले ₹9-11 (यानी 30-36%) तक चल रहा था।

.कई ब्रोकरेज हाउस ने भी “Subscribe” रेटिंग दी थी।

फिर भी लिस्टिंग के दिन NSE पर शेयर सिर्फ ₹31.50 (5% प्रीमियम) और BSE पर ₹32 (6.67% प्रीमियम) पर खुला। दिन के अंत में भी 7-8% से ज्यादा नहीं चढ़ पाया।

तो आखिर लिस्टिंग गेन कमजोर क्यों रहा? मुख्य 6 कारण

* ओवरवैल्यूएशन का डर- IPO के समय कंपनी का P/E रेशियो 48-50 के आसपास था, जबकि लिस्टेड पीयर्स (जैसे Firstsource Solutions, Quess Corp) 25-35 के P/E पर ट्रेड कर रहे थे। निवेशकों को लगा कि ₹30 का दाम पहले से ही महंगा है।

* प्रमोटर पूरी हिस्सेदारी बेच रहे थे (OFS)- ये IPO 100% ऑफर फॉर सेल (OFS) था। मतलब कंपनी को एक भी पैसा नहीं मिला, सारा पैसा प्रमोटर (Everstone Capital और Lexington) के पास गया। निवेशकों को हमेशा ऐसे IPO में थोड़ा डर लगता है क्योंकि कंपनी का ग्रोथ में पैसा नहीं लग रहा।

* मार्केट का मूड खराब था- लिस्टिंग के आसपास पूरा बाजार गिर रहा था। निफ्टी-50 एक हफ्ते में 4-5% टूट चुका था। FII लगातार बिकवाली कर रहे थे। ऐसे में नया IPO चाहे जितना अच्छा हो, दबाव में आ ही जाता है।

* बड़ा इश्यू साइज और कम रिटेल इंटरेस्ट- 2,200 करोड़ का इश्यू था, लेकिन रिटेल हिस्सा सिर्फ 1.8 गुना भरा। ज्यादातर बड़े खिलाड़ी (QIB और NII) ने सब्सक्राइब किया। लिस्टिंग के दिन रिटेल निवेशक कम थे, इसलिए खरीदारी का दबाव नहीं बना।

* ग्रे मार्केट का झूठा भ्रम- GMP ₹11 तक दिख रहा था, लेकिन असल में वो सिर्फ कागजी खेल था। जैसे ही लिस्टिंग नजदीक आई, GMP तेजी से गिरकर ₹2-3 पर आ गया। बहुत से लोग GMP को सच मानकर फंस गए।

* सेक्टर में पहले से दबाव- हेल्थकेयर BPO सेक्टर में पिछले 6 महीने से लिस्टेड कंपनियां 15-30% तक टूट चुकी हैं। अमेरिका में हेल्थकेयर खर्चे पर कटौती की खबरें आ रही हैं। इससे सेक्टर का सेंटिमेंट पहले से कमजोर था।

रिपोर्ट्स क्या कह रही हैं?

. मोतीलाल ओसवाल: “कंपनी के फंडामेंटल अच्छे हैं, लेकिन वैल्यूएशन ज्यादा था। लॉन्ग टर्म के लिए ठीक, लेकिन शॉर्ट टर्म में दबाव रह सकता है।”

. आईसीआईसीआई डायरेक्ट: “OFS होने की वजह से लिस्टिंग पर उत्साह कम था। मार्केट करेक्शन ने आग में घी डाला।”

. एनालिस्ट्स का कहना है कि अब शेयर अपने फेयर वैल्यू (₹24-26) के करीब आ गया है। अब अगर बाजार स्थिर होता है तो रिकवरी हो सकती है।

निवेशकों को क्या सीख मिली?

. GMP को आँख बंद करके सच न मानें।

. 100% OFS वाले IPO में सावधानी बरतें।

. वैल्यूएशन बहुत ज्यादा हो तो लिस्टिंग गेन की उम्मीद कम रखें।

. बाजार का मूड खराब हो तो नया IPO चाहे जितना अच्छा हो, दबाव में आ सकता है।

निष्कर्ष:

लिस्टिंग के बाद शेयर अभी भी इश्यू प्राइस से 8-12% ऊपर ट्रेड कर रहा है (21 नवंबर 2025 तक)। अगर बाजार रिकवर करता है और कंपनी अच्छे नतीजे दिखाती है तो लॉन्ग टर्म में 20-30% रिटर्न की संभावना है। लेकिन शॉर्ट टर्म में उतार-चढ़ाव रहेगा। अंत में यही कहेंगे – IPO में पैसा लगाना लॉटरी नहीं है। थोड़ी रिसर्च और धैर्य जरूरी है। बिना समझे GMP के चक्कर में लाखों लोग फंस जाते हैं। अगली बार कोई IPO आए तो पहले वैल्यूएशन, प्रमोटर की मंशा और मार्केट का मूड जरूर चेक कर लें।

PRAGATI DIXIT
Author: PRAGATI DIXIT

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