साइलेंट ट्रीटमेंट असल में क्या है- जब पार्टनर बात करना बंद कर दे
इसे भावनात्मक दुर्व्यवहार (Emotional Abuse) की सबसे क्रूर कैटेगरी में रखा जाता है। पार्टनर जानबूझकर बातचीत, नज़रें, स्पर्श – सब बंद कर देता है ताकि आपको सज़ा मिले। 2025 में WHO ने इसे “साइकोलॉजिकल वायलेंस” की लिस्ट में शामिल किया।
डेस्क: छोटी सी बहस हुई। आप माफ़ी माँगने गए , वो चुप। 2 घंटे, फिर 2 दिन, फिर 2 हफ़्ते . घर में हैं दोनों, पर ऐसा लगता है जैसे आप अकेले मर रहे हों , ये सजा नहीं – मनोवैज्ञानिक इसे “साइलेंट ट्रीटमेंट” कहते हैं, और ये शारीरिक मार से भी ज़्यादा ख़तरनाक है।
रिसर्च क्या कहती है
- जर्नल ऑफ़ सोशल एंड पर्सनल रिलेशनशिप (2024): साइलेंट ट्रीटमेंट झेलने वालों में PTSD के लक्षण शारीरिक हिंसा के शिकार लोगों जितने ही मिले।
- ब्रेन स्कैन स्टडी: जिसे चुप कराया जाता है, उसके दिमाग का “सोशल रिजेक्शन” वाला हिस्सा एक्टिवेट होता है – ठीक वैसा ही दर्द जैसा किसी ने थप्पड़ मारा हो।
- हार्वर्ड स्टडी: 6 महीने से ज़्यादा साइलेंट ट्रीटमेंट झेलने वालों में डिप्रेशन का ख़तरा 11 गुना बढ़ जाता है।
- 68% मामले: देने वाला सोचता है “मैं बस शांति चाहता हूँ” – पर पाने वाला इसे “मौत की सज़ा” मानता है।
जोखिम – ये चुप्पी धीरे-धीरे आपको मार डालती है
एक 29 साल की लड़की ने बताया – “वो 18 दिन तक नहीं बोला। मैं रोज़ रोती थी, माफ़ी माँगती थी, पर वो बस चुप। फिर एक दिन मैंने खुद को बालकनी से फेंकने की कोशिश की। मुझे लगा – अगर वो मुझसे बात नहीं करेगा तो मैं ज़िंदा रहकर क्या करूँगी?”
क्या करें – 4 स्टेप बचाव और जवाब:
| स्थिति | सही कदम (तुरंत) |
|---|---|
| वो चुप हो गया | खुद भी चुप मत हो – शांति से कहो: “मुझे बात करनी है, जब तैयार हो बताना” |
| 24 घंटे से ज़्यादा हो गए | लिखित मैसेज भेजो – “तुम्हारी चुप्पी मुझे तोड़ रही है, मैं बात करना चाहता/चाहती हूँ” |
| 3 दिन से ज़्यादा हो गया | अपनी बाउंड्री सेट करो – “अगर बात नहीं करोगे तो मैं कुछ दिन अलग रहूँगा/रहूँगी” |
| बार-बार हो रहा है | थेरेपी/काउंसलर साथ ले जाओ – ये दुर्व्यवहार है, इलाज ज़रूरी है |
चुप रहना कोई हथियार नहीं है – ये ज़हर है। जो आपको चुप कराकर कंट्रोल करता है, वो आपको प्यार नहीं कर रहा – वो आपको मार रहा है, बहुत धीरे-धीरे।अगली बार जब कोई आपसे बात करना बंद करे, याद रखिए – चुप्पी तोड़ना आपकी ज़िम्मेदारी नहीं है, पर अपनी आत्म-सम्मान बचाना ज़रूर है। आज रात अगर कोई आपसे चुप है – तो आप उस चुप्पी से बाहर निकलने का पहला कदम उठाइए। क्योंकि आप जीने के लायक हैं – बिना किसी की चुप्पी की सज़ा के।
“जो चुप रहकर सज़ा देता है, वो प्यार नहीं – डर पैदा कर रहा है।”



