
सहारा समूह की 14 साल पुरानी कानूनी लड़ाई अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच सकती है। कानूनी सूत्रों के अनुसार, सहारा समूह ने सुप्रीम कोर्ट में एक ‘टर्म शीट’ पेश की है, जिसके तहत अडानी समूह एंबी वैली, मुंबई के सहारा स्टार होटल और देशभर की 88 से अधिक संपत्तियों को खरीदने के लिए तैयार है। अगर अदालत से मंजूरी मिलती है, तो यह सौदा वर्षों से अटके निवेशकों के रिफंड की प्रक्रिया को तेज कर सकता है। यह मामला 14 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई में पेश होगा।
दस्तावेजों के अनुसार, अडानी समूह को 88 से अधिक संपत्तियां एकमुश्त ब्लॉक डील में ट्रांसफर की जाएंगी। इसमें महाराष्ट्र में फैली 8810 एकड़ की एंबी वैली सिटी और मुंबई हवाई अड्डे के पास स्थित सहारा स्टार होटल प्रमुख हैं। इसके अलावा, अन्य संपत्तियां उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात, पश्चिम बंगाल, झारखंड, मध्य प्रदेश, कर्नाटक और उत्तराखंड में फैली हुई हैं। इस रणनीति का उद्देश्य पहले की विफलताओं से बचना है, जब अलग-अलग संपत्तियों की बिक्री में सालों लग जाते थे।
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सहारा समूह ने सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया है कि संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत ‘पूर्ण न्याय’ सुनिश्चित किया जाए। कंपनी ने अदालत से इन संपत्तियों को सभी जांच और कानूनी कार्रवाई से छूट देने का आदेश देने का प्रस्ताव रखा है। इसके साथ ही, फंड के प्रबंधन और बिक्री प्रक्रिया की निगरानी के लिए सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज की अध्यक्षता में एक उच्च-स्तरीय समिति बनाने का सुझाव भी दिया गया है।
14 साल का लंबा विवाद और निवेशकों की उम्मीदें
सहारा विवाद 2012 में शुरू हुआ, जब सेबी ने पाया कि सहारा की दो कंपनियों ने बिना मंजूरी के वैकल्पिक रूप से पूर्ण परिवर्तनीय डिबेंचर (OFCD) जारी किए थे। सुप्रीम कोर्ट ने सेबी के आदेश को बरकरार रखा। संस्थापक सुब्रत रॉय को 2014 में जेल हुई, बाद में पैरोल पर रिहा किया गया। वर्षों से निवेशकों का पैसा रिफंड खाते में जमा है, लेकिन धीमी प्रक्रिया के कारण पैसा वापस नहीं पहुंच पाया।