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यह माँग 2005-06 से 2023-24 की अवधि की AGR देनदारियों से संबंधित है

यह माँग 2005-06 से 2023-24 की अवधि की AGR देनदारियों से संबंधित है

Tata Communications: कंपनी के एक आधिकारिक नोट के अनुसार, दूरसंचार विभाग (DoT) ने टाटा कम्युनिकेशंस को एक “कारण बताओ-सह-डिमांड नोटिस” जारी किया है, जिसमें समायोजित सकल राजस्व (AGR) बकाया के रूप में लगभग 7,800 करोड़ रुपये की मांग की गई है।

टाटा कम्युनिकेशंस को AGR बकाया राशि पर नोटिस

टाटा कम्युनिकेशंस के प्रबंध निदेशक एएस लक्ष्मीनारायण ने कहा, “30 जून, 2025 तक, कंपनी को भारतीय दूरसंचार विभाग से वित्तीय वर्ष 2005-06 से वित्तीय वर्ष 2023-24 तक के लिए कुल 7,827.55 करोड़ रुपये के ‘कारण बताओ-सह-माँग नोटिस’ (‘माँग नोटिस’) प्राप्त हुए हैं, जिन्हें समय के साथ संशोधित किया गया है।

उन्होंने कहा कि माँग नोटिस में ISP (इंटरनेट सेवा प्रदाता) लाइसेंस के तहत वित्तीय वर्ष 2010-11 और NLD (राष्ट्रीय लंबी दूरी) लाइसेंस के तहत वित्तीय वर्ष 2007 और 2010 के लिए भुगतान के आधार पर कंपनी द्वारा दावा की गई कटौतियों की अस्वीकृति के लिए 276.68 करोड़ रुपये शामिल हैं।

टाटा कम्युनिकेशंस के पास अपने आईएलडी (अंतर्राष्ट्रीय लंबी दूरी), एनएलडी और आईएसपी लाइसेंस से संबंधित अपीलें हैं जो पहले दायर की गई थीं और सर्वोच्च न्यायालय तथा दूरसंचार न्यायाधिकरण टीडीसैट में लंबित हैं।

लक्ष्मीनारायण ने कहा कि कंपनी की अपीलें UASL नामक पुरानी दूरसंचार लाइसेंस व्यवस्था के तहत AGR पर 24 अक्टूबर, 2019 के सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के दायरे में नहीं आती हैं। इसके अलावा, कंपनी का मानना है कि उसके सभी लाइसेंस UASL से अलग हैं, जो माननीय सर्वोच्च न्यायालय के 24 अक्टूबर, 2019 के फैसले का विषय था। कंपनी अपने आकलन और स्वतंत्र कानूनी राय के आधार पर मानती है कि वह अपनी स्थिति का बचाव करने में सक्षम होगी।”

दूरसंचार ऑपरेटरों का AGR बकाया मामला क्या है?

सरकार की प्रारंभिक गणना के अनुसार, दूरसंचार ऑपरेटरों पर वित्त वर्ष 2019 तक कुल AGR बकाया के रूप में लगभग 1.65 लाख करोड़ रुपये का भुगतान करने की देनदारी थी।

मार्च 2022 तक की गणना से पता चला है कि वित्तीय वर्ष 2018-19 तक भारती एयरटेल पर एजीआर देनदारी 31,280 करोड़ रुपये, वोडाफोन आइडिया पर 59,236.63 करोड़ रुपये, रिलायंस जियो पर 631 करोड़ रुपये, बीएसएनएल पर 16,224 करोड़ रुपये और एमटीएनएल पर 5,009.1 करोड़ रुपये थी।

उस समय की सरकारी गणना में टाटा कम्युनिकेशंस पर देनदारी शामिल नहीं थी।

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