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Big Ponzi scheme:850 करोड़ के फाल्कन इनवॉइस डिस्काउंटिंग पोंजी घोटाले का पर्दाफाश

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दो गिरफ्तार, प्राइवेट जेट विमान जप्त,मुख्य आरोपी फरार

हैदराबाद: साइबराबाद पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने 850 करोड़ रुपये के फाल्कन इनवॉइस डिस्काउंटिंग प्लेटफॉर्म (FID) पोंजी घोटाले का पर्दाफाश करते हुए दो प्रमुख आरोपियों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार व्यक्तियों में पवन कुमार ओडेला (कैपिटल प्रोटेक्शन फोर्स प्राइवेट लिमिटेड के उपाध्यक्ष और FID के बिजनेस हेड) और काव्या नल्लुरी (कैपिटल प्रोटेक्शन फोर्स प्राइवेट लिमिटेड और फाल्कन कैपिटल वेंचर्स प्राइवेट लिमिटेड की निदेशक) शामिल हैं। पुलिस ने घोटाले से जुड़े प्राइवेट जेट विमान को भी जब्त कर लिया है।

कैसे हुआ घोटाला?

घोटाले के मुख्य आरोपी अमरदीप कुमार (प्रबंध निदेशक, फाल्कन कैपिटल वेंचर्स प्राइवेट लिमिटेड), आर्यन सिंह (मुख्य परिचालन अधिकारी) और योगेंद्र सिंह (मुख्य कार्यकारी अधिकारी) ने निवेशकों को प्रतिष्ठित कंपनियों के अवैतनिक चालानों पर 11% से 22% तक के उच्च रिटर्न का वादा कर लुभाया।

निवेश की राशि ₹25,000 से ₹9,00,000 तक थी।

परिपक्वता अवधि 45 से 180 दिनों के बीच रखी गई।

इस आकर्षक प्रस्ताव से 6,979 निवेशकों ने कुल ₹1,700 करोड़ का निवेश किया।

निवेशकों को केवल ₹850 करोड़ वापस मिले, जबकि बाकी ₹850 करोड़ घोटाले का शिकार हो गए।

पुलिस की कार्रवाई

जनवरी 2025 में भुगतान में देरी होने लगी, और 10 फरवरी को कंपनी का कार्यालय बंद हो गया। नाराज निवेशकों ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। 15 फरवरी को पुलिस ने पवन कुमार ओडेला और काव्या नल्लुरी को गिरफ्तार कर लिया, जबकि मुख्य आरोपी अमरदीप कुमार और अन्य अभी भी फरार हैं।

पुलिस ने इस मामले की गहराई से जांच के लिए विशेष जांच टीम (SIT) का गठन किया है, जो आरोपियों को पकड़ने और निवेशकों के पैसे की वसूली के लिए प्रयासरत है।

धन का दुरुपयोग

जांच में खुलासा हुआ कि निवेशकों की रकम का इस्तेमाल नई कंपनियां स्थापित करने में किया गया, जिनमें शामिल हैं:

क्रिप्टोकरेंसी प्लेटफॉर्म

मल्टी-लेवल मार्केटिंग योजनाएं

लक्जरी रिसॉर्ट्स

प्राइवेट चार्टर सेवाएं

रियल एस्टेट निवेश

आईटी सॉफ्टवेयर विकास

फार्मास्यूटिकल्स और डेयरी उत्पाद

सार्वजनिक चेतावनी

साइबराबाद पुलिस ने जनता को उच्च रिटर्न का लालच देने वाली निवेश योजनाओं से सावधान रहने की चेतावनी दी है। उन्होंने सेबी (SEBI) और आरबीआई (RBI) जैसे नियामक निकायों के माध्यम से किसी भी वित्तीय योजना की वैधता की जांच करने की सलाह दी है।

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