Bihar Chunva News: चिराग पासवान की पार्टी में बगावत, 38 नेताओं ने दिया इस्तीफा
खगड़िया में LJPR के 38 नेताओं ने मनीष कुमार की नियुक्ति के खिलाफ इस्तीफा दिया, राजेश वर्मा पर गंभीर आरोप, चिराग पासवान के लिए बढ़ी चुनौती।

Bihar Chunva News: बिहार के खगड़िया जिले में लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) (LJPR) को बड़ा झटका लगा है। पार्टी के 38 नेताओं ने एक साथ इस्तीफा दे दिया है, जिससे चिराग पासवान की पार्टी में हड़कंप मच गया है। यह घटना तब हुई जब मनीष कुमार उर्फ नाटा सिंह को खगड़िया का जिलाध्यक्ष नियुक्त किया गया। इस नियुक्ति से नाराज पूर्व जिलाध्यक्ष शिवराज यादव सहित 38 नेताओं ने सामूहिक रूप से अपने पद छोड़ दिए। इन नेताओं ने खगड़िया के सांसद राजेश वर्मा पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि राजेश वर्मा का व्यवहार अमर्यादित है, जिसके कारण यह कदम उठाना पड़ा।
Bihar Chunva News: क्यों हुआ इस्तीफा?
23 जुलाई को LJPR के प्रदेश अध्यक्ष राजू तिवारी ने मनीष कुमार को खगड़िया जिलाध्यक्ष बनाया। इस फैसले से पार्टी के कई नेता नाराज हो गए। शिवराज यादव और उनके समर्थकों का कहना है कि यह नियुक्ति गलत थी और सांसद राजेश वर्मा ने इसमें अपनी मनमानी की। नेताओं ने यह भी आरोप लगाया कि राजेश वर्मा का व्यवहार कार्यकर्ताओं के लिए अपमानजनक रहा है। इस असंतोष ने पार्टी में बगावत की आग को और भड़का दिया। इस्तीफे देने वाले नेताओं का कहना है कि वे अब भविष्य में नई रणनीति बनाएंगे और अपने हक के लिए लड़ेंगे।
चिराग पासवान के लिए चुनौती
चिराग पासवान की पार्टी पहले भी कई बार विवादों में रही है। इससे पहले 2024 में लोकसभा चुनाव के दौरान भी टिकट वितरण को लेकर 22 नेताओं ने इस्तीफा दे दिया था। तब नेताओं ने चिराग पर टिकट बेचने का आरोप लगाया था। अब खगड़िया में हुए इस सामूहिक इस्तीफे ने चिराग की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले यह घटना पार्टी की एकजुटता पर सवाल उठा रही है।
खगड़िया में क्या होगा असर?
खगड़िया लोकसभा सीट से राजेश वर्मा ने 2024 में बड़ी जीत हासिल की थी। उन्होंने सीपीआई (एम) के संजय कुशवाहा को 1,61,131 वोटों से हराया था। लेकिन अब पार्टी के अंदरूनी विवाद और नेताओं के इस्तीफे से उनकी छवि को नुकसान पहुंच सकता है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह विवाद क्षेत्र में LJPR की स्थिति को कमजोर कर सकता है।
भविष्य की रणनीति
इस्तीफा देने वाले नेताओं ने अभी यह स्पष्ट नहीं किया है कि वे किसी दूसरी पार्टी में जाएंगे या अपनी नई राह चुनेंगे। लेकिन यह साफ है कि LJPR में सब कुछ ठीक नहीं है। चिराग पासवान को इस संकट से निपटने के लिए जल्द ही कोई बड़ा फैसला लेना होगा। बिहार की सियासत में यह घटना चर्चा का विषय बन गई है और इसका असर आने वाले चुनावों पर पड़ सकता है।