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बिहार चुनाव 2025: मुकेश सहनी ने खुद चुनाव न लड़ने का किया ऐलान, डिप्टी सीएम पद पर अड़े!

डेस्क: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की रणनीति में एक बड़ा ट्विस्ट आ गया है। विकासशील इंसान पार्टी (VIP) के संस्थापक और प्रमुख मुकेश सहनी ने स्पष्ट कर दिया है कि वे इस बार किसी सीट से उम्मीदवार के रूप में मैदान में नहीं उतरेंगे। पहले उन्होंने दरभंगा जिले की गौड़ा बौराम विधानसभा सीट से लड़ने का संकेत दिया था, लेकिन अब उन्होंने पीछे हटने का फैसला किया। सहनी का कहना है कि उनका असली लक्ष्य महागठबंधन की सरकार बनने पर डिप्टी मुख्यमंत्री बनना है। उन्होंने राज्यसभा सदस्यता का प्रस्ताव भी सिरे से खारिज कर दिया, जो उनकी राजनीतिक महत्वाकांक्षा को दर्शाता है। यह ऐलान गठबंधन की आंतरिक राजनीति को नई दिशा दे सकता है, खासकर जब महागठबंधन पहले से ही सीट बंटवारे को लेकर उलझन में फंसा हुआ है।

महागठबंधन में सीट बंटवारे की खींचतान के बीच गुरुवार रात को VIP, RJD और कांग्रेस के बीच समझौता हुआ था। VIP ने शुरुआत में घोषणा की थी कि सहनी शुक्रवार को गौड़ा बौराम से नामांकन भरेंगे। लेकिन नामांकन की अंतिम तिथि पर RJD के उम्मीदवार अफजल अली ने उसी सीट से फॉर्म दाखिल कर दिया, जिससे अटकलें तेज हो गईं। राजनीतिक हलकों में चर्चा थी कि क्या सहनी अब भी लड़ेंगे या गठबंधन के दबाव में पीछे हटेंगे? शुक्रवार दोपहर पटना में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में सहनी ने स्थिति साफ करते हुए कहा, “मैं खुद चुनाव नहीं लड़ूंगा, बल्कि पार्टी के अन्य प्रत्याशियों के लिए जोरदार प्रचार करूंगा।” यह कदम VIP को गठबंधन में अपनी स्थिति मजबूत करने का मौका दे सकता है, लेकिन सहनी की अनुपस्थिति से वैशाली और दरभंगा जैसे क्षेत्रों में पार्टी का चेहरा कमजोर पड़ सकता है।

डिप्टी CM की कुर्सी पर अड़ी VIP: राज्यसभा का प्रस्ताव नामंजूर

सहनी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में जोर देकर कहा, “मेरा लक्ष्य राज्यसभा नहीं, बल्कि महागठबंधन सरकार बनने पर डिप्टी सीएम की कुर्सी हासिल करना है।” यह बयान गठबंधन के नेताओं के बीच सत्ता के बंटवारे पर बहस छेड़ सकता है, जहां RJD प्रमुख तेजस्वी यादव की भूमिका केंद्रीय रहेगी। VIP के प्रवक्ता देव ज्योति ने पुष्टि की कि गठबंधन में पार्टी को 15 विधानसभा सीटें आवंटित की गई हैं। इसके अलावा, RJD ने VIP को एक राज्यसभा सीट और दो विधान परिषद (MLC) सीटें देने का आश्वासन दिया है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि सहनी का यह रुख महागठबंधन को एकजुट रखने में मददगार साबित हो सकता है, लेकिन अगर सरकार बनी तो डिप्टी CM जैसे पदों पर सौदेबाजी लंबी खिंच सकती है। बिहार की राजनीति में VIP का फोकस निषाद समुदाय पर है, और सहनी की यह रणनीति पार्टी को लंबे समय तक प्रासंगिक बनाए रखने का प्रयास लगता है।

सहनी के विधानसभा चुनाव न लड़ने से अब सवाल उठ रहा है कि वे विधान परिषद (MLC) के माध्यम से सरकार में कैसे शामिल होंगे। पार्टी के आंतरिक सूत्रों के अनुसार, वे डिप्टी CM की मांग पर कायम हैं और अगर महागठबंधन सत्ता में आया, तो MLC नामांकन या बाय-election के जरिए कैबिनेट में जगह बना सकते हैं। यह रणनीति सहनी को बिना जोखिम के सत्ता के केंद्र में ला सकती है, लेकिन NDA की ओर से इसे कमजोरी के रूप में प्रचारित किया जा सकता है। कुल मिलाकर, सहनी का फैसला महागठबंधन की चुनावी रणनीति को प्रभावित करेगा, जहां पहले चरण के मतदान से पहले एकता का संदेश देना जरूरी हो गया है।

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