बिहार चुनाव 2025: तेजस्वी के सीएम फेस होने पर बवाल, कांग्रेस की दूरी ने बढ़ाई सियासी गर्मी

पटना: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) की अगुवाई वाले विपक्षी महागठबंधन ने तेजस्वी यादव को औपचारिक रूप से मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर दिया है। इस ऐलान के बाद सियासत में हलचल मच गई है। जहां एनडीए ने इसे “कांग्रेस की मजबूरी” बताया, वहीं डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी ने लालू यादव पर आरोप लगाया कि उन्होंने “कांग्रेस को दबाव में रखकर तेजस्वी को सीएम फेस घोषित कराया।”
राहुल गांधी की गैरमौजूदगी पर उठे सवाल
तेजस्वी यादव की उम्मीदवारी के ऐलान के दौरान हुए संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में पोस्टर पर केवल तेजस्वी की तस्वीर थी — राहुल गांधी नजर नहीं आए। इस पर एनडीए ने तंज कसते हुए कहा कि “महागठबंधन में तालमेल नहीं, टकराव है।”
कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक, राहुल गांधी ने जानबूझकर बिहार से दूरी बनाई ताकि सीट बंटवारे में पार्टी की स्थिति मजबूत रहे और लालू परिवार से सीधा टकराव टल सके। कांग्रेस ने यह जिम्मेदारी केसी वेणुगोपाल और कृष्णा अल्लावरु को सौंपी थी।
कांग्रेस का फोकस उन सीटों पर है जहां पार्टी की पकड़ परंपरागत रूप से मजबूत रही है। सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस ने आरजेडी से सीटों पर बारगेन करने के लिए सीएम फेस के ऐलान में जानबूझकर देरी की।
पार्टी के एक वरिष्ठ नेता के अनुसार, “तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री बनने से ज्यादा इस बात पर चिंतित थे कि उन्हें चेहरा घोषित किया जाएगा या नहीं।” कांग्रेस चाहती थी कि बिना सीएम फेस के चुनाव लड़कर अति पिछड़ी जातियों में पकड़ बढ़ाई जाए, लेकिन आरजेडी इस सुझाव पर तैयार नहीं हुई।
डिप्टी सीएम पद पर भी मतभेद
सूत्र बताते हैं कि तेजस्वी यादव ने वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी को डिप्टी सीएम बनाने का वादा किया था, लेकिन कांग्रेस इस फैसले से खुश नहीं थी। पार्टी का मानना था कि डिप्टी सीएम पद पर फैसला नतीजों के बाद होना चाहिए। इसी मतभेद ने दोनों दलों के बीच दूरी और बढ़ा दी।
कांग्रेस सूत्रों के अनुसार, राहुल गांधी और अन्य कद्दावर नेता छठ पूजा के बाद बिहार में प्रचार अभियान शुरू करेंगे। राहुल ने अपने नेताओं को स्पष्ट संदेश दिया है कि “महागठबंधन में रहते हुए भी कांग्रेस का फोकस अपने प्रदर्शन पर होना चाहिए।”
कांग्रेस की रणनीति साफ है — तेजस्वी के नेतृत्व में महागठबंधन का साथ, लेकिन पार्टी की पहचान को बरकरार रखना।



