Bihar Politics: बिहार चुनाव से पहले चुनाव आयोग के सर्वे में बड़ा खुलासा, 'जाति' पर भारी पड़ा 'विकास', युवाओं के लिए रोजगार सबसे बड़ा मुद्दा
युवाओं के लिए रोजगार, महिलाओं के लिए सुरक्षा मुख्य मुद्दे; NDA को फायदा, महागठबंधन की चिंता बढ़ी

Bihar Politics: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से ठीक पहले, भारत निर्वाचन आयोग (Election Commission) द्वारा कराए गए एक आंतरिक सर्वेक्षण ने राज्य की राजनीति में एक बड़ी बहस छेड़ दी है। इस सर्वे में यह बात सामने आई है कि बिहार के मतदाताओं की प्राथमिकताएं अब तेजी से बदल रही हैं। दशकों से बिहार की राजनीति की धुरी रहे ‘जाति’ के फैक्टर पर अब ‘विकास’ का मुद्दा भारी पड़ रहा है। इस सर्वे के नतीजों ने जहां सत्ताधारी एनडीए (NDA) को एक नई ऊर्जा दी है, वहीं विपक्षी महागठबंधन की चिंताएं बढ़ा दी हैं।
‘जाति नहीं, अब विकास और उम्मीदवार देखकर वोट देगी जनता’
चुनाव आयोग द्वारा मतदाताओं को जागरूक करने और चुनावी तैयारियों का जायजा लेने के लिए कराए गए इस सर्वे के अनुसार, बिहार के मतदाताओं के लिए अब बिजली, सड़क, पानी और रोजगार जैसे विकास के मुद्दे सबसे बड़ी प्राथमिकता बन गए हैं। दशकों से बिहार की राजनीति को नियंत्रित करने वाला जाति का फैक्टर अब, खासकर युवा और शहरी मतदाताओं के लिए, दूसरे स्थान पर खिसक गया है। इसके अलावा, सर्वे यह भी बताता है कि वोटर अब पार्टी से ज्यादा उम्मीदवार की व्यक्तिगत छवि, उसकी साफ-सुथरी राजनीति और उसकी उपलब्धता को महत्व दे रहे हैं।
युवाओं को चाहिए ‘रोजगार’, महिलाओं को ‘सुरक्षा और महंगाई से राहत’
सर्वे में एक और महत्वपूर्ण बात सामने आई है जो युवा और महिला मतदाताओं की बदलती सोच को दर्शाती है। 18 से 35 वर्ष की आयु के युवा मतदाताओं के लिए सबसे बड़ा और एकमात्र मुद्दा ‘रोजगार’ है। वे ऐसी सरकार चाहते हैं जो राज्य में नए अवसर पैदा करे, ताकि उन्हें पलायन न करना पड़े। वहीं, महिला मतदाताओं के लिए बेहतर कानून-व्यवस्था, महिला सुरक्षा और महंगाई से राहत (विशेषकर गैस सिलेंडर और खाने-पीने की चीजों के दाम) सबसे बड़े मुद्दे हैं। नीतीश कुमार सरकार की ‘हर घर नल का जल’ और ‘हर घर बिजली’ जैसी योजनाओं का महिला मतदाताओं पर गहरा प्रभाव दिख रहा है।
NDA के ‘विकासवाद’ को मिला बल, महागठबंधन की बढ़ी चिंता
चुनाव आयोग के इस सर्वे के नतीजों को एनडीए गठबंधन के लिए एक बड़े बूस्टर के तौर पर देखा जा रहा है। एनडीए (बीजेपी-जेडीयू) का पूरा चुनावी अभियान ही ‘विकासवाद’ और ‘डबल इंजन’ सरकार की उपलब्धियों पर केंद्रित है। यह सर्वे उनके इसी नैरेटिव को मजबूती देता है। दूसरी ओर, यह सर्वे आरजेडी के नेतृत्व वाले महागठबंधन के लिए एक खतरे की घंटी है। महागठबंधन की राजनीति मुख्य रूप से M-Y (मुस्लिम-यादव) समीकरण और सामाजिक न्याय के इर्द-गिर्द घूमती है। सर्वे के नतीजे बताते हैं कि सिर्फ जातीय समीकरणों के भरोसे अब चुनाव जीतना आसान नहीं होगा।
Bihar Politics: क्या बदलेंगी पार्टियां अपनी रणनीति?
चुनाव आयोग के इस विश्वसनीय सर्वे ने बिहार की सभी राजनीतिक पार्टियों को अपनी रणनीति पर फिर से विचार करने के लिए मजबूर कर दिया है। अब सभी दलों को अपने प्रचार अभियान में विकास के एक ठोस रोडमैप और साफ-सुथरी छवि वाले उम्मीदवारों को अधिक महत्व देना होगा। यह देखना दिलचस्प होगा कि इस बदलते चुनावी मिजाज के बीच, कौन सा गठबंधन बिहार की जनता का भरोसा जीतने में कामयाब होता है।