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Delhi Smog 2025: दिल्ली में स्मॉग का कहर, AQI 400 से ज्यादा होने पर दिमाग और मूड पर बुरा असर, चिंता-तनाव बढ़ने का खतरा

दिवाली बाद दिल्ली में घना स्मॉग, AQI 400+ से डिप्रेशन और चिड़चिड़ापन बढ़ा, वैज्ञानिकों ने दी चेतावनी।

Delhi Smog 2025: नई दिल्ली, दिवाली की रौनक अभी बाकी है, लेकिन दिल्ली में अब स्मॉग ने शहर को घेर लिया है। 20 अक्टूबर को पटाखों की धूम से हवा खराब हो गई। दो दिन से घना धुंधा छाया हुआ है। वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 400 से ऊपर पहुंच गया है। यह स्तर बहुत खतरनाक है। न सिर्फ फेफड़ों और दिल पर बुरा असर पड़ रहा, बल्कि दिमाग और मन पर भी गहरा प्रभाव हो रहा। वैज्ञानिकों का कहना है कि ऐसी प्रदूषित हवा से उदासी, घबराहट, गुस्सा और चिड़चिड़ापन बढ़ जाता है। खासकर बच्चों और बुजुर्गों के लिए यह चेतावनी का संकेत है।

दिल्ली में स्मॉग क्यों फैला? AQI 400 का मतलब क्या?

दिवाली पर फटाकों से निकली धुंध ने हवा को जहर बना दिया। PM2.5 और PM10 जैसे छोटे कण हवा में घुल गए। ये कण इतने बारीक हैं कि फेफड़ों से होकर खून में घुस जाते हैं। साथ ही नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, ओजोन और कार्बन मोनोऑक्साइड जैसे गैसें भी बढ़ गईं। जब AQI 400 के पार जाता है, तो ये प्रदूषक दिमाग तक पहुंच जाते हैं। 2-3 दिन ऐसी हवा में रहने से दिमाग में कोहरा सा छा जाता है। सोचने-समझने की शक्ति कम हो जाती है। हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के शोध बताते हैं कि ऐसी स्थिति में याददाश्त कमजोर पड़ती है। दिल्ली में अभी यह समस्या चरम पर है, लोग बाहर निकलने से डर रहे हैं।

प्रदूषण से दिमाग पर क्या असर पड़ता है?

प्रदूषित हवा दिमाग के केमिकल्स को बिगाड़ देती है। सेरोटोनिन और डोपामाइन जैसे तत्व कम हो जाते हैं, जिससे डिप्रेशन और चिंता की समस्या बढ़ती है। स्ट्रेस हार्मोन कोर्टिसोल का स्तर ऊंचा हो जाता है। इससे नींद न आने लगती है और मन अस्थिर रहता है। मुख्य प्रभाव इस प्रकार हैं:-

  • याद रखने और ध्यान देने की क्षमता घटना।
  • छोटी-छोटी बातें भूल जाना।
  • उदासी, थकान और काम में रुचि न लेना।
  • PM2.5 कणों से दिमाग में सूजन, जो अल्जाइमर और पार्किंसन जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ाती है।
  • सांस लेने में दिक्कत से नींद खराब, जिससे मूड और बिगड़ता है।
  • दिल की धड़कन तेज होना, बेचैनी और सिरदर्द।

बच्चों के बढ़ते दिमाग पर यह ज्यादा बुरा असर डालता है। लंबे समय तक ऐसी हवा से दिमाग 5 साल पहले बूढ़ा हो जाता है।

विशेषज्ञों की राय: शोध क्या कहते हैं?

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और येल स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के 2023 के रिपोर्ट के मुताबिक, AQI 300 से 500 के बीच चिंता और डिप्रेशन के मामले 15-20 फीसदी बढ़ जाते हैं। सोशल मीडिया पर लोग थकान, गुस्सा और भ्रम की शिकायत ज्यादा करते हैं। कोलंबिया यूनिवर्सिटी और लैंसेट न्यूरोलॉजी जर्नल के अध्ययन बताते हैं कि प्रदूषण से दिमाग में सूजन होती है। 2021 में बीजिंग के एक चाइनीज शोध में पाया गया कि AQI 400 से ऊपर होने पर छात्रों का मूड इंडेक्स 30 फीसदी गिर जाता है। हर साल 60 दिन से ज्यादा AQI 300 के पार रहने वाली जगहों पर लोगों का दिमाग तेजी से कमजोर होता है। विशेषज्ञ कहते हैं कि यह सिर्फ शारीरिक नहीं, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य का संकट है। खासकर युवाओं में सुसाइड और खुद को नुकसान पहुंचाने के खतरे बढ़ जाते हैं।

स्मॉग से बचाव के आसान उपाय

AQI 400 के समय खुद को बचाना जरूरी है। कुछ सरल तरीके अपनाएं:

  • सुबह या शाम की सैर न करें, घर में रहें।
  • खिड़कियां बंद रखें, ताकि गंदी हवा अंदर न आए।
  • ध्यान या योग करें, इससे स्ट्रेस कम होगा।
  • ज्यादा पानी पिएं और हल्का खाना खाएं।
  • मास्क लगाकर ही बाहर निकलें।

सरकार को भी सख्त कदम उठाने चाहिए, जैसे पटाखों पर पाबंदी। लेकिन व्यक्तिगत स्तर पर सावधानी से मानसिक स्वास्थ्य की रक्षा हो सकती है। दिल्लीवासी सतर्क रहें, यह समस्या जल्दी खत्म न हो। अगर चिंता ज्यादा हो, तो डॉक्टर से बात करें। स्वच्छ हवा का अधिकार सबका है, लेकिन अभी धैर्य रखना पड़ेगा।

Sanjna Gupta
Author: Sanjna Gupta

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