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दिल्ली क्लासरूम घोटाले में मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन के खिलाफ FIR: Anti-corruption branch has started the investigation.

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नई दिल्ली:दिल्ली के स्कूलों में क्लासरूम निर्माण में हुए कथित घोटाले को लेकर एंटी-करप्शन ब्रांच (ACB) ने बुधवार को दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया तथा पूर्व लोक निर्माण विभाग (PWD) मंत्री सत्येंद्र जैन के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। यह मामला आम आदमी पार्टी के कार्यकाल के दौरान 12,748 क्लासरूम और अन्य संरचनाओं के निर्माण में भारी लागत वृद्धि और भ्रष्टाचार के आरोपों से जुड़ा है।
यह एफआईआर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेताओं हरीश खुराना, कपिल मिश्रा और नीलकंठ बक्शी की शिकायतों के आधार पर दर्ज की गई है। इन नेताओं ने आरोप लगाया कि दिल्ली सरकार के स्कूलों में कक्षाओं के निर्माण में लगभग 2,892 करोड़ रुपये खर्च किए गए, जबकि सामान्य तौर पर एक कक्षा का निर्माण महज 5 लाख रुपये में संभव है। शिकायत के अनुसार, आम आदमी पार्टी सरकार के दौरान एक क्लासरूम के निर्माण की लागत लगभग 24.86 लाख रुपये प्रति कक्षा पहुंच गई, जो सामान्य लागत से कई गुना अधिक है।
एसीबी प्रमुख मधुर वर्मा ने बताया कि 2015-16 में व्यय वित्त समिति ने यह निर्णय लिया था कि क्लासरूम निर्माण की परियोजना को जून 2016 तक स्वीकृत लागत पर ही पूरा किया जाएगा और कोई अतिरिक्त लागत नहीं बढ़ाई जाएगी। हालांकि, तय समय सीमा में परियोजना पूरी नहीं हुई और लागत में भारी वृद्धि देखी गई। 2020 में केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) द्वारा जारी मुख्य तकनीकी परीक्षक की रिपोर्ट में भी इस प्रोजेक्ट में CPWD वर्क्स मैनुअल 2014, GFR 2017 और CVC के दिशानिर्देशों के गंभीर उल्लंघन पाए गए। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि टेंडर जारी होने के बाद लिए गए कई फैसले CVC के नियमों के अनुरूप नहीं थे, जिससे लागत और बढ़ गई।
CVC की रिपोर्ट में यह भी उजागर किया गया कि सेमी-पर्मानेंट स्ट्रक्चर (SPS) के निर्माण की लागत लगभग स्थायी संरचनाओं (RCC) के बराबर थी। रिपोर्ट के मुताबिक, SPS कक्षाओं के निर्माण में कोई वित्तीय लाभ नहीं हुआ, क्योंकि उनकी लागत भी लगभग पक्के कक्षाओं के बराबर थी।
इन सभी तथ्यों और आरोपों के आधार पर, दिल्ली सरकार के पूर्व शिक्षा और लोक निर्माण मंत्रियों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 17-ए के तहत कार्रवाई के लिए अनुमति मांगी गई थी, जिसे सक्षम प्राधिकारी ने मंजूरी दे दी है। इसके बाद एंटी-करप्शन ब्रांच ने एफआईआर दर्ज कर ली है और मामले की गहन जांच शुरू कर दी है। जांच में सभी संबंधित अधिकारियों, ठेकेदारों और अन्य लोगों की भूमिका की भी पड़ताल की जाएगी, ताकि पूरे घोटाले की सच्चाई सामने लाई जा सके।

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