
Gehun Mandi Bhav: बिहार और उत्तर प्रदेश की मंडियों में गेहूं की कीमतों में हाल ही में बदलाव देखने को मिला है। ताजा मंडी अपडेट के अनुसार, कुछ मंडियों में गेहूं के दाम बढ़े हैं, जबकि कुछ जगहों पर कीमतें स्थिर हैं। आइए जानते हैं बिहार और उत्तर प्रदेश के प्रमुख शहरों में गेहूं की ताजा कीमतें और इसका असर।
गेहूं के दाम में क्यों हो रहा है बदलाव?
गेहूं की कीमतों में उतार-चढ़ाव का कारण आपूर्ति, मांग और परिवहन लागत है। इस साल बिहार और उत्तर प्रदेश में गेहूं की फसल अच्छी हुई, लेकिन बारिश और भंडारण की समस्याओं ने मंडियों में आपूर्ति को प्रभावित किया है। इसके अलावा, कुछ मंडियों में गेहूं की मांग बढ़ने से कीमतों में हल्की तेजी आई है। मंडी व्यापारियों के अनुसार, गेहूं की औसत कीमत 2400-2600 रुपये प्रति क्विंटल के बीच है, लेकिन कुछ शहरों में यह 2700 रुपये तक पहुंच रही है।
बिहार और उत्तर प्रदेश के शहरों में गेहूं के ताजा रेट
नीचे बिहार और उत्तर प्रदेश के 8 प्रमुख शहरों में 19 जून 2025 को गेहूं की औसत खुदरा कीमतें दी गई हैं:
- पटना (बिहार): 26 रुपये/किलो – मंडियों में स्थिर आपूर्ति, कीमतें सामान्य।
- मुजफ्फरपुर (बिहार): 25.5 रुपये/किलो – स्थानीय मांग के कारण हल्की बढ़ोतरी।
- पूर्णिया (बिहार): 26.5 रुपये/किलो – भंडारण समस्याओं से कीमतें ऊंची।
- भागलपुर (बिहार): 25 रुपये/किलो – नई फसल की आवक से कीमतें स्थिर।
- लखनऊ (उत्तर प्रदेश): 25.5 रुपये/किलो – मंडियों में मध्यम आपूर्ति।
- कानपुर (उत्तर प्रदेश): 26 रुपये/किलो – मांग बढ़ने से कीमतों में उछाल।
- वाराणसी (उत्तर प्रदेश): 26.5 रुपये/किलो – परिवहन लागत से दाम प्रभावित।
- आगरा (उत्तर प्रदेश): 25.8 रुपये/किलो – स्थानीय मंडियों में कीमतें स्थिर।
आम लोगों पर क्या असर?
गेहूं की कीमतों में बदलाव ने छोटे शहरों और गांवों के लोगों को प्रभावित किया है। गृहणी मंजू देवी (कानपुर) कहती हैं, “गेहूं के दाम बढ़ने से रोटी बनाना महंगा हो गया है।” स्थानीय दुकानदार रामलाल (पटना) ने बताया कि ग्राहक कम मात्रा में गेहूं खरीद रहे हैं, जिससे उनका व्यापार प्रभावित हो रहा है।
Gehun Mandi Bhav: सरकार के प्रयास
सरकार ने गेहूं की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 2275 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया है। इसके अलावा, सरकारी गोदामों से सस्ते दामों पर गेहूं बेचने की योजना चल रही है। हालांकि, स्थानीय लोगों का कहना है कि इसका असर अभी मंडियों में पूरी तरह दिखाई नहीं दे रहा।
भविष्य में क्या होगा?
कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि नई फसल की आवक बढ़ने से दिसंबर 2025 तक गेहूं की कीमतें स्थिर हो सकती हैं। तब तक लोगों को मौजूदा कीमतों के साथ गुजारा करना पड़ सकता है। छोटे शहरों में लोग गेहूं के साथ अन्य अनाज जैसे ज्वार और बाजरा भी उपयोग कर रहे हैं।
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